शनि विधान को आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करने का उद्देश्य यह है, कि आप सभी शनि देव के पूजन विधान को भली भांति प्रकार से समझ पाएं । शनि एक संस्कृत शब्द है। ‘शनये कमति सः’ जिसका अर्थ है ‘अत्यन्त धीमा’। जिस कारण शनि की गति बहुत धीमी है। शनि की गति भले ही धीमी हो पर फल देने में सबसे तीव्र है। शनि देव सूर्य देव के पुत्र होने के कारण बहुत ही शक्तिशाली हैं, शनि देव का तेज़ और शक्ति देवताओं में सर्वमान्य है। शनि देव अत्याधिक क्रोधी एवं दयालु हैं। जिस कारण मानवों और देवताओ में शनि देव का डर व्याप्त है। भगवान शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है, क्योंकि शनि देव पाप करने वालों को और अन्याय करने वालों को अपनी दशा या अंतर दशा में दण्डित करते हैं। शनि देव ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वह प्रकृति के नियम को बनाए रखें और प्रकृति का संतुलन बना रहे। एक प्रकार से शनि देव संतुलन बनाने का कार्य करते हैं, ताकि अन्याय को समाप्त कर जीवों को न्याय दिला सकें। शनि देव के बारे में कुछ भ्रांतियां हैं। जिस कारण शनि देव को शुभ नहीं माना जाता है जो कि नितांत उचित नहीं है। शनि देव पाप और अन्याय करने वालों को भिखारी तक बना सकते है, ताकि बुरा कर्म करने से पूर्व जीवों में भय हो और किसी पर अन्याय न हो सकें। जो कोई भी पाप के मार्ग पर चलता है भगवान शनि देव उसको कहीं भी दण्ड दे सकते हैं, चाहे वह भू-लोक हो या पाताल हो, कहा जाता है कि शनि देव के गुरु देव आदिदेव महादेव हैं। महादेव ने ही शनि देव को न्यायाधीश बनाया। इसलिए शनि देव को सर्वोच्च न्यायाधीश माना जाता हैं।
आचार्य गौरव आर्य ज्योतिष के क्षेत्र के जाने पहचाने नाम है। आचार्य गौरव आर्य अन्धविश्वास को समाप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहते है। सही मायने में आध्यात्मिक शक्ति क्या है और हमारे ऋषि मुनि क्या हमें विरासत में देकर गए है उसकी खोज निरंतर करते रहते है। पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर भी है, और प्रथम श्रेणी में इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त की और काफी वर्षो तक इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स पर काम भी किया लेकिन वर्तमान में ऑकल्ट साइंस पर ही काम करते है और नयी-नयी जानकारी एकत्र करके जानकारी देते रहते है। वर्ष २०१७ में ज्योतिष श्री और वर्ष २०१८ में ज्योतिष विभूषण और २०१९ में बेस्ट एस्ट्रोलॉजर से भी नवाजा जा चूका है। असमान्य गतिविधियाँ और उनके कारण क्या है? उसके लिए भी जाने जाते है। साधको को तंत्र मार्ग का सही उपदेश दे चुके हैं, और भारत की इस गुप्त पद्धति को संजोकर रखने का प्रयास निरंतर कर रहे हैं। मंत्र दीक्षा और साधना विधान का ज्ञान निरंतर अपने शिष्यों को देते रहते हैं। आने वाली अपनी नवीनतम पुस्तकों के माध्यम से भी इन रहस्यों को उजागर करते रहेंगे। यन्त्र तत्त्वं, श्री शनि संहिता, लाल किताब आदि पुस्तकों की रचना कर चुके है।