तुम, मैं और विराम काव्य संकलन ही नही है, ये संवाद हैं आपके और आपके प्रियजनों के, प्रेयस के, स्वयं के अंतर्द्वद्व के, जीवन की कड़वाहट समझते हुए, मानसिक स्वीकृति, अंतर्ज्ञान, दर्शन सब कुछ है, ये कविताएं प्रेमपत्र सरीखी लग सकती हैं, पर मुझे लगता है ये जीवन का अभिन्न अंग हैं।
कितनी ही बातें अनकही रह जाती हैं, बिना कहे अंतर्मन में धूमिल हो जाती हैं, यह संकलन उन कुछ याद आई बातों को जोड़ने का प्रयास है।