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Utsav: Kavitao ki Kusumavali / उत्सव : कविताओं की कुसुमावली

Author Name: Smt. Urmila Sheokand | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details
हिन्दी हमारी मातृभाषा तो जरूर बन गई है लेकिन हम लोग इस पर ध्यान कितना देते हैं वो देखने वाली बात है .... बाहर के देश... चीन हो या जापान ... जर्मनी...फ्राँस ... इटली.. आस्ट्रिया... रूस आदि जैसे देश अपनी भाषा में ही बात करते हैं चाहे किसी दुसरे देश के प्रतिनिधि से ही क्यों ना बात करनी हो...... लेकिन हमारे देश में ऐसा नहीं होता..... हम सबकी कोशिश होनी चाहिये की जितना हो सके हम हिन्दी का प्रसार करें... बहुत सुन्दर भाषा है हमारी..... हमारे देश के तीन नामकरण हुए – भारत, हिन्दुस्तान और इंडिया … लेकिन असलियत में हमारे देश का नाम भारत है... बाकी दो नाम विदेशियों ने अपनी सहुलियत के हिसाब से दिये हैं ......... कहते हैं हमारे देश में अनेकता में एकता है ..... लेकिन क्या सही मायने में एकता है ..... ?... मुझे लगता है नहीं ... इसी पर मैनें अपनी पुस्तक में भी एक रचना लिखी है। दोस्तो मेरी पुस्तक " उत्सव : कविताओं की कुसुमावली " में आपको अनेक रंग मिलेंगे। उम्मीद करती हूँ आपको इन रंगों का इन्द्रधनुष शानदार और रोचक लगेगा। मेरी पुस्तक का प्राक्कथन मशहूर लेखक " राश दादा "# जीना चाहता हूँ मरने के बाद " ने किया है । इनके बारे में जो कहूंगी वह कम ही है । कृतज्ञ हूँ
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श्रीमती उर्मिला श्योकन्द

लेखन एक ऐसी कला है जो हमें कलम के माध्यम से जीवन , समाज , प्रकृति इत्यादि से रूबरू कराती है। मैं स्वयं अपनी कलम के जरिये प्रत्येक वस्तु से जुड़ाव महसूस करती हूँ। कुछ लोगों का कहना है कि लेखक सिर्फ खुद के सुख दुख भाव ही लिखता है। लेकिन मेरा ऐसा मानना है की हम अपने आसपास जो देखते हैं , हमारे अन्दर वैसे ही भाव उमड़ते हैं। उन उमड़े जज्बातों को हम कोरे पन्नों पर शब्दों का रूप देते हैं। स्वतन्त्र लेखन में दिल के जज्बातों को खूबसूरती से लिखा और महसूस किया जाता है। दूसरी ओर भाव की अभिव्यक्ति अगर सरल शब्दों में हो तो पाठक के मन को छू जाती है। मेरी कोशिश यही रहती है कि अपने लेखन को भाव प्रधान रखते हुये सरल भाषा का प्रयोग करूं। अपने शब्दों को विराम देते हुये इतना ही कहूंगी......... पढ़ते रहे किताबों में दूसरों के जज्बातों को खुद को कभी पढ़ा नहीं ढ़ोते रहे हालातों को दे सकते थे जवाब मगर चुनते रहे सवालातों को @urmil59#चित्कला
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