उत्तर-पश्चिम दिशा से भारतवर्ष पर विभिन्न कालखंडों में हुए असंख्य आक्रमणों के बावजूद भारतीय सभ्यता और संस्कृति ने न केवल अपने अस्तित्व को बनाए रखा बल्कि वर्तमान में अपने समृद्ध और गौरवशाली स्वरूप में विद्यमान है। जब आक्रांताओं ने विश्व की विभिन्न प्राचीन सभ्यताओं को लहूलुहान कर ध्वस्त कर दिया था उस समय भारतीय सभ्यता और संस्कृति की रक्षा करना आसान नहीं था। लेकिन उत्तर-पश्चिमी सीमांत पर समय चक्र के विभिन्न कालखंडों में बैठे प्रहरियों ने इन आक्रमणकारी सेनाओं की न केवल गति को मंद किया बल्कि असंख्य लड़ाइयों में इन्हें पराजित कर लौटने को मजबूर किया। इस सीमांत के इन्हीं रक्षकों के इतिहास को समेटने का प्रयास इस पुस्तक के माध्यम से किया गया है।