जीवन की अहमीयत सबसे ज्यादा पता चलती है जब ये हाथ से फिसलने लगती है। कोरोना ने हमें क्या दिखलाया और क्या सिखलाया, यह शायद अगली पीढी भूल जाए पर उसका दाग हमपर रह ही जाएगा। हम उस साल को, उस पल को एक याद बना कर रखेंगे और बार बार अपनो को याद कर रोएंगे। ये कहानी उन लोगों को समर्पित है जो अब हमारे साथ नहीं हैं, जिन्हें हम सही विदाई भी नहीँ दे पाए. हमारी नासमझी, हमारे डर और हमारी बेबसी के लिए हमें माफ कर दें
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