घटनाक्रम से ही जीवन का निर्माण होता है साथ ही भावनाओं का जन्म भी होता है। हमारे चारो ओर निरंतर घटनायें घटित होती रहती हैं। कई घटनायें विस्मरणीय होती हैं और कुछ सोचने को विवश करती हैं। उन्हीं सोच विचारों को मैनें शब्दों में पिरोया है और “विविधा” लेकर आपके समक्ष प्रस्तुत हुई हूँ। विविधा अर्थात् विभिन्न विषयों पर धार-प्रहार। रचनायें आपको अपने करीब दिखेंगी या फिर कुछ सोचने को मजबूर करेंगी।
घर के अंदर की भावनात्मक स्थिति से लेकर देश की सीमा पर हो रही हलचल तक, समाज में नारी उत्थान से लेकर नारी उत्पीड़न तक, सामाजिक व राजनीतिक उथल-पुथल के कई पहलुओं पर मेरी लेखनी ने मेरे विचारों को उद्धृत किया है।
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