जब एक राज्य, जो लंबे समय तक निराशा का प्रतीक रहा, फिर से सपने देखने लगता है, तो क्या होता है?
इस प्रभावशाली और व्यक्तिगत आख्यान में, नीति-निर्माता और सुधारवादी नेता नीतीश मिश्रा बिहार के दो दशकों के असाधारण परिवर्तन को दर्ज करते हैं—जहाँ कार्यहीनता से विकास की ओर एक सामूहिक यात्रा शुरू हुई।
यह कहानी है अंधकार से प्रकाश, गरिमा और उद्देश्य की ओर बढ़ते बिहार की—विपरीत परिस्थितियों के बीच खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः पाने के दृढ़ संकल्प की।
सजीव वर्णन, प्रत्यक्ष अनुभव और ईमानदार आत्म-चिंतन के साथ ‘बिहार है तैयार’ दिखाती है कि कैसे दूरदर्शी नेतृत्व, प्रशासनिक सुधार और लोक-केंद्रित शासन ने राज्य का भाग्य बदला।
1990 के दशक के चरमराते ढाँचे से लेकर नीतीश कुमार के सुशासन के युग तक, मिश्रा बिहार के पुनर्जागरण का गहन अवलोकन प्रस्तुत करते हैं—बताते हैं कि जनता का विश्वास पुनः अर्जित करने और सेवा-प्रधान प्रणाली स्थापित करने के लिए क्या आवश्यक है।
आज बिहार एक नए अध्याय की दहलीज पर है—ऊर्जा, संसाधनों और दूरदर्शी नेतृत्व से परिपूर्ण, जो केंद्र के साथ मिलकर राज्य की आकांक्षाओं को राष्ट्रीय लक्ष्यों से जोड़ता है।
यह पुस्तक केवल शासन का विवरण नहीं, बल्कि बिहारियों की जुझारू भावना, लोकसेवा के जज़्बे और इस विश्वास की श्रद्धांजलि है कि ईमानदारी से हर व्यवस्था का रूपांतरण संभव है।
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