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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
रोम आज ईसाइयत का एक मुख्य केंद्र है, लेकिन वह वैभवशाली रोमन साम्राज्य ईसाई नहीं था, जिसमें जूलियस सीजर और नीरो जैसों ने राज किया। जैसा कहा जाता है- रोम एक दिन में नहीं बना। कई बार ग
रोम आज ईसाइयत का एक मुख्य केंद्र है, लेकिन वह वैभवशाली रोमन साम्राज्य ईसाई नहीं था, जिसमें जूलियस सीजर और नीरो जैसों ने राज किया। जैसा कहा जाता है- रोम एक दिन में नहीं बना। कई बार गिरा, जल कर राख हुआ। कई बार फिर से नयी शुरुआत हुई। इसने गणतंत्र देखे, तो तानाशाही भी देखी। बर्बर गॉल से पराजय देखी, और ग्लैडिएटर खेलों की खूनी बर्बरता दिखायी। जूपिटर देवता के पूजक रोम ने एक मसीहा को सूली पर लटकते देखा। उनके अनुयायियों के सामूहिक नरसंहार के बाद आखिर ऐसी क्या घटना हुई कि वे खुद ईसाई बन बैठे? बॉन्जुरी प्रोजेक्ट की नयी पेशकश रोम के षडयंत्र, राजनीति, शक्ति, पूँजी, रोमांस, क्रूरता और आस्था से गुजरते हुए आज की दुनिया के सूत्र तलाशती है।
रोम आज ईसाइयत का एक मुख्य केंद्र है, लेकिन वह वैभवशाली रोमन साम्राज्य ईसाई नहीं था, जिसमें जूलियस सीजर और नीरो जैसों ने राज किया। जैसा कहा जाता है- रोम एक दिन में नहीं बना। कई बार ग
रोम आज ईसाइयत का एक मुख्य केंद्र है, लेकिन वह वैभवशाली रोमन साम्राज्य ईसाई नहीं था, जिसमें जूलियस सीजर और नीरो जैसों ने राज किया। जैसा कहा जाता है- रोम एक दिन में नहीं बना। कई बार गिरा, जल कर राख हुआ। कई बार फिर से नयी शुरुआत हुई। इसने गणतंत्र देखे, तो तानाशाही भी देखी। बर्बर गॉल से पराजय देखी, और ग्लैडिएटर खेलों की खूनी बर्बरता दिखायी। जूपिटर देवता के पूजक रोम ने एक मसीहा को सूली पर लटकते देखा। उनके अनुयायियों के सामूहिक नरसंहार के बाद आखिर ऐसी क्या घटना हुई कि वे खुद ईसाई बन बैठे? बॉन्जुरी प्रोजेक्ट की नयी पेशकश रोम के षडयंत्र, राजनीति, शक्ति, पूँजी, रोमांस, क्रूरता और आस्था से गुजरते हुए आज की दुनिया के सूत्र तलाशती है।
सन सत्तावन पर सैकड़ों किताबें लिखी गयी, और आज भी लिखी जा रही है। मंगल पांडे के कोर्ट मार्शल में शब्दशः क्या हुआ था? क्या तात्या टोपे को पकड़ने में ब्रिटिश सफल रहे? सिंधिया का ब्रि
सन सत्तावन पर सैकड़ों किताबें लिखी गयी, और आज भी लिखी जा रही है। मंगल पांडे के कोर्ट मार्शल में शब्दशः क्या हुआ था? क्या तात्या टोपे को पकड़ने में ब्रिटिश सफल रहे? सिंधिया का ब्रिटिशों से मिला होना किस तरह देखा जा सकता है? आखिरी मुगल बादशाह की भूमिका क्या थी? वयोवृद्ध कुंवर सिंह ने किन हालातों में कमान संभाली? नाना साहेब के साथ अंततः क्या हुआ? रानी लक्ष्मीबाई के बारे में अंग्रेजों ने क्या लिखा? क्या यह संग्राम किसी अर्थ में सफल था या अंग्रेजों द्वारा इसे सिपाही विद्रोह कहना उचित? इन प्रश्नों के उत्तर तलाशते हुए यह किताब बनती चली गयी। बॉन्जुरी प्रोजेक्ट की एक और पेशकश आपके समक्ष।
सन सत्तावन पर सैकड़ों किताबें लिखी गयी, और आज भी लिखी जा रही है। मंगल पांडे के कोर्ट मार्शल में शब्दशः क्या हुआ था? क्या तात्या टोपे को पकड़ने में ब्रिटिश सफल रहे? सिंधिया का ब्रि
सन सत्तावन पर सैकड़ों किताबें लिखी गयी, और आज भी लिखी जा रही है। मंगल पांडे के कोर्ट मार्शल में शब्दशः क्या हुआ था? क्या तात्या टोपे को पकड़ने में ब्रिटिश सफल रहे? सिंधिया का ब्रिटिशों से मिला होना किस तरह देखा जा सकता है? आखिरी मुगल बादशाह की भूमिका क्या थी? वयोवृद्ध कुंवर सिंह ने किन हालातों में कमान संभाली? नाना साहेब के साथ अंततः क्या हुआ? रानी लक्ष्मीबाई के बारे में अंग्रेजों ने क्या लिखा? क्या यह संग्राम किसी अर्थ में सफल था या अंग्रेजों द्वारा इसे सिपाही विद्रोह कहना उचित? इन प्रश्नों के उत्तर तलाशते हुए यह किताब बनती चली गयी। बॉन्जुरी प्रोजेक्ट की एक और पेशकश आपके समक्ष।
अस्सी का दशक राजनीतिक करवटों का दशक है। इंदिरा गांधी के परिवार के अंदर और बाहर चल रही हलचल भारतीय राजनीति पर भी प्रभाव डाल रही थी। भारतीय जनता पार्टी का उदय भविष्य की बिसात तय कर
अस्सी का दशक राजनीतिक करवटों का दशक है। इंदिरा गांधी के परिवार के अंदर और बाहर चल रही हलचल भारतीय राजनीति पर भी प्रभाव डाल रही थी। भारतीय जनता पार्टी का उदय भविष्य की बिसात तय कर रही थी। 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार और उसके बाद इंदिरा गांधी की हत्या इस दशक का अत्यंत संवेदनशील पक्ष है। ‘गांधी परिवार’ और ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ दो खंडों में यह कहानी कहने की कोशिश है, जो 2020 में ईबुक रूप में प्रकाशित हो चुकी है। संवाद शैली में क़िस्सागोई के साथ यह रचना ‘जेपी- नायक से लोकनायक तक’ के बाद की कड़ी है।
अस्सी का दशक राजनीतिक करवटों का दशक है। इंदिरा गांधी के परिवार के अंदर और बाहर चल रही हलचल भारतीय राजनीति पर भी प्रभाव डाल रही थी। भारतीय जनता पार्टी का उदय भविष्य की बिसात तय कर
अस्सी का दशक राजनीतिक करवटों का दशक है। इंदिरा गांधी के परिवार के अंदर और बाहर चल रही हलचल भारतीय राजनीति पर भी प्रभाव डाल रही थी। भारतीय जनता पार्टी का उदय भविष्य की बिसात तय कर रही थी। 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार और उसके बाद इंदिरा गांधी की हत्या इस दशक का अत्यंत संवेदनशील पक्ष है। ‘गांधी परिवार’ और ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ दो खंडों में यह कहानी कहने की कोशिश है, जो 2020 में ईबुक रूप में प्रकाशित हो चुकी है। संवाद शैली में क़िस्सागोई के साथ यह रचना ‘जेपी- नायक से लोकनायक तक’ के बाद की कड़ी है।
डार्विन का सिद्धांत जितना महत्वपूर्ण रहा, उतना ही विवादित भी। जिसे मानना और खारिज करना, दोनों ही मुश्किल रहा। इस सिद्धांत की यात्रा हमें ऐसी दृष्टि देती है, जो हर मनुष्य में छु
डार्विन का सिद्धांत जितना महत्वपूर्ण रहा, उतना ही विवादित भी। जिसे मानना और खारिज करना, दोनों ही मुश्किल रहा। इस सिद्धांत की यात्रा हमें ऐसी दृष्टि देती है, जो हर मनुष्य में छुपी हो सकती है। एक जहाज यात्रा ने कैसे एक पादरी बनने जा रहे व्यक्ति को बदल कर रख दिया? पृथ्वी के असंख्य जीव-जंतुओं को देखने का नजरिया बदल दिया। जिस व्यक्ति ने स्वयं विज्ञान की शिक्षा पूरी नहीं की, उसका सिद्धांत विज्ञान की पुस्तकों में अंकित हो गया। यह ललित निबंध शैली का उपन्यास इन्हीं बिंदुओं को समझने का एक प्रयास है।
डार्विन का सिद्धांत जितना महत्वपूर्ण रहा, उतना ही विवादित भी। जिसे मानना और खारिज करना, दोनों ही मुश्किल रहा। इस सिद्धांत की यात्रा हमें ऐसी दृष्टि देती है, जो हर मनुष्य में छु
डार्विन का सिद्धांत जितना महत्वपूर्ण रहा, उतना ही विवादित भी। जिसे मानना और खारिज करना, दोनों ही मुश्किल रहा। इस सिद्धांत की यात्रा हमें ऐसी दृष्टि देती है, जो हर मनुष्य में छुपी हो सकती है। एक जहाज यात्रा ने कैसे एक पादरी बनने जा रहे व्यक्ति को बदल कर रख दिया? पृथ्वी के असंख्य जीव-जंतुओं को देखने का नजरिया बदल दिया। जिस व्यक्ति ने स्वयं विज्ञान की शिक्षा पूरी नहीं की, उसका सिद्धांत विज्ञान की पुस्तकों में अंकित हो गया। यह ललित निबंध शैली का उपन्यास इन्हीं बिंदुओं को समझने का एक प्रयास है।
कभी भारत के लोगों को कहा गया था कि वे मशीनी दुनिया के लिए नहीं बने। उनमें यंत्र बनाने की क्षमता ही नहीं। जब ऐसा कहा जा रहा था, उस वक्त भी भारत में वह तरंगें मौजूद थी। भारत इंजीनिय
कभी भारत के लोगों को कहा गया था कि वे मशीनी दुनिया के लिए नहीं बने। उनमें यंत्र बनाने की क्षमता ही नहीं। जब ऐसा कहा जा रहा था, उस वक्त भी भारत में वह तरंगें मौजूद थी। भारत इंजीनियरों के ऐसे देश बनने की ओर बढ़ रहा था, जिनकी जरूरत पूरी दुनिया को होगी। आइआइटी और कंप्यूटर की जमीन तैयार हो रही थी। अमरीका से कदमताल मिलाते हुए इसने ऐसा तंत्र बनाया जिसकी जरूरत अमरीका को भी पड़ने लगी। सॉफ़्टवेयर पार्कों के शीशमहल से गाँव के पान की दुकान में लगे QR कोड तक। किस तरह सोने की चिड़िया कहा जाने वाला यह देश बना सिलिकन की चिड़िया?
कभी भारत के लोगों को कहा गया था कि वे मशीनी दुनिया के लिए नहीं बने। उनमें यंत्र बनाने की क्षमता ही नहीं। जब ऐसा कहा जा रहा था, उस वक्त भी भारत में वह तरंगें मौजूद थी। भारत इंजीनिय
कभी भारत के लोगों को कहा गया था कि वे मशीनी दुनिया के लिए नहीं बने। उनमें यंत्र बनाने की क्षमता ही नहीं। जब ऐसा कहा जा रहा था, उस वक्त भी भारत में वह तरंगें मौजूद थी। भारत इंजीनियरों के ऐसे देश बनने की ओर बढ़ रहा था, जिनकी जरूरत पूरी दुनिया को होगी। आइआइटी और कंप्यूटर की जमीन तैयार हो रही थी। अमरीका से कदमताल मिलाते हुए इसने ऐसा तंत्र बनाया जिसकी जरूरत अमरीका को भी पड़ने लगी। सॉफ़्टवेयर पार्कों के शीशमहल से गाँव के पान की दुकान में लगे QR कोड तक। किस तरह सोने की चिड़िया कहा जाने वाला यह देश बना सिलिकन की चिड़िया?
नॉर्वे को दुनिया के खुशहाल देशों में गिना जाता है। लेखक इस तफ़तीश पर निकलते हैं कि आख़िर यह देश वाक़ई खुशहाल है या ख़ुशहाली एक भ्रम है। क्या भारत इन देशों से कुछ सीख सकता है या ये
नॉर्वे को दुनिया के खुशहाल देशों में गिना जाता है। लेखक इस तफ़तीश पर निकलते हैं कि आख़िर यह देश वाक़ई खुशहाल है या ख़ुशहाली एक भ्रम है। क्या भारत इन देशों से कुछ सीख सकता है या ये देश भारत से कुछ सीख सकते हैं?
नॉर्वे को दुनिया के खुशहाल देशों में गिना जाता है। लेखक इस तफ़तीश पर निकलते हैं कि आख़िर यह देश वाक़ई खुशहाल है या ख़ुशहाली एक भ्रम है। क्या भारत इन देशों से कुछ सीख सकता है या ये
नॉर्वे को दुनिया के खुशहाल देशों में गिना जाता है। लेखक इस तफ़तीश पर निकलते हैं कि आख़िर यह देश वाक़ई खुशहाल है या ख़ुशहाली एक भ्रम है। क्या भारत इन देशों से कुछ सीख सकता है या ये देश भारत से कुछ सीख सकते हैं?
यह पुस्तक ‘उल्टी गंगा’ लेखक की पहली कथाओं का संकलन हैं। ऐसी कथाओं के, जो लेखक स्वयं दुबारा नहीं लिख पाए। लेखक का दावा है कि इस पुस्तक के दो प्रकाशक इसे छापने के बाद डूब गये।
यह पुस्तक ‘उल्टी गंगा’ लेखक की पहली कथाओं का संकलन हैं। ऐसी कथाओं के, जो लेखक स्वयं दुबारा नहीं लिख पाए। लेखक का दावा है कि इस पुस्तक के दो प्रकाशक इसे छापने के बाद डूब गये।
यह पुस्तक ‘उल्टी गंगा’ लेखक की पहली कथाओं का संकलन हैं। ऐसी कथाओं के, जो लेखक स्वयं दुबारा नहीं लिख पाए। लेखक का दावा है कि इस पुस्तक के दो प्रकाशक इसे छापने के बाद डूब गये।
यह पुस्तक ‘उल्टी गंगा’ लेखक की पहली कथाओं का संकलन हैं। ऐसी कथाओं के, जो लेखक स्वयं दुबारा नहीं लिख पाए। लेखक का दावा है कि इस पुस्तक के दो प्रकाशक इसे छापने के बाद डूब गये।
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