आसमां में सुराख” कोयला उद्योग के कर्मियों की मेहनत और चुनौती भरे कार्य और उनके द्वारा देशहित में किए जा रहे भीड़ से अलग हटकर कार्य को दुनिया के सामने लाने की एक छोटी-सी पहल है। ये कोयला कर्मी जब साल के तीन सौ पैंसठ दिन ज़मीन के नीचे या ऊपर कोयला निकालकर विद्युत केन्द्रों को ईंधन के रूप में भेजते हैं, तब जाकर हमारे-आपके घर में बिजली जलती है।
देश की ऊर्जा की जरूरत को पूरी करने वाले पर्दे के पीछे के इन लोगों के बारे में हम-आप कम जानते है। लेकिन इनके कार्य कई लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हो सकते हैं। इनकी लगन, मेहनत हमारे-आपके लिए मार्ग दर्शन का कार्य कर सकती है। इनके द्वारा लगभग रोज़ असंभव से लगने वाले कार्य को संभव करने के बारे में जान कर हम सभी प्रोत्साहित हो सकते हैं। हम और आप यह जानें कि कैसे ये कर्मी, चाहे पुरुष हों या महिला, हमारे-आपके और देश की खुशहाली के लिए अपना पसीना बहाते हैं।इस किताब में इन्हीं सब पर चर्चा होगी,छोटी-छोटी कहानियों के रूप में।
वास्तविक कहानियाँ आसमां में सुराख करने वालों की.......।
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