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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palहर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है ,पर समाज आज तक इनको बोझ मानता आ रहाहै ।लोग सोचते है , की लड़कियों सिर्फ़ और सिर्फ़ घर का काम कर सकती है ।जब एक लड़की माँ बन सकती है , तो दूसरी पहलवान क्यों नही । जब एक लड़की बेटी बन सकती है , तो दूसरी आर्मी ऑफिसर क्यों नही । जब एक लड़की बहन बन सकती है ,तो दूसरी लीडर क्यों नही । जब देश के बेटों को शहीद होने का हक है ,तो हम यह हक देश की बेटियों से क्यों छीन सकते है। यह देश उनका भी है ,और इसकी सेवा करना उनका हक ।
यह कहानी सारा और सिड की है ।इन दोनों के बीच अजब सा प्यार था । पर किस्मत हर इंसान को उसकी पूरी खुशी नहीं देता है । सारा एक रॉ एजेंट थी । यह जॉब आसान नही होता ।आप जॉब तो करते हो पर किसी को बता नही सकते । अपनी जॉब की पहचान बचा कर रखनी पड़ती है ।सारा को इस जॉब की वजह से बहुत तकलीफ़ सहना पड़ा ।इस जॉब की वजह से एक समय के लिए सिड सारा से दूर हो गया ।बस एक जॉब की वजह से आप जिसे बहुत प्यार करते हो उसे खो देते हो , फिर भी सारा ने यह जॉब नही छोड़ा । शायद सारा का दूर जाना ही सिड की कामयाबी का कारण बना । पर दोनों ज्यादा दिन के लिए अलग नही रहे , और ज्यादा दिन साथ भी नही । दोनो एक समय के लिए मिले तो थे ,पर शायद यह किस्मत को मंजूर नही था ।इस जॉब की वजह से सारा की जान चली गई ,और देश की सेवा करते करते वह सिड को छोड़ कर हमेशा के लिये चल गई । पर दोनों का प्यार अटूट था । सिड ने सारा का मौत का बदला लेने ले किया रॉ में आ गया ।सिड एक अच्छा खासा ऑथर बन चूका था ,उसकी हर बुक बेस्ट सेलर बनती थी ।पर उसने यह सब छोड़ कर रॉ में आ गया ।सचे प्यार का इसे अच्छा कौन सा उद्धरण हो सकता है।
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.ज्ञानेश कुणाल
जब कोई पूरूष सफलता प्राप्त कर लेता है तो अक्सर आपने एक कहावत जरूर सुनी होगी की एक कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है | वह औरत चाहे माँ , बहन ,पत्नी ,प्रेमिका या कोई मित्र ही क्यो न हो |
प्रसिद्ध रंगकर्मी , साहित्यकार श्री वासुदेव प्रसाद जी के अनुज पुत्र श्री संजय कुमार जो भारत माता की सेवा में जूड़े हैं , उनके सुपुत्र चिरंजीवी ज्ञानेश कुणाल ने इस कहावत को अपने पुस्तक ‘18/3 एक अधूरी दास्तान’ के रूप में गढ़ने की कोशिश की है |
किसी के सफलता के पीछे हाथ होने का क्या मतलब है ? यह हाथ कुछ और नहीं बल्कि बलिदान का है , और इस बलिदानों के पीछे छूपा हुआ वो सक्ष्म रूप प्यार स्नेह और विश्वास | इस कहानी में दो ऐसे पात्र है जिन्होने प्रेम और त्याग का सही रूप बताया है |
यह पुस्तक केवल लड़के - लड़की की प्रेम कहानी नहीं बल्कि अपितु देशप्रेम और देशभक्ति का भी संदेश देता है | हमारे रचनाकार ने बहुत ही अच्छे तरह से हमें यह बताने की कोशिश की है की वतन के परे कुछ नहीं है , ना तो प्यार और ना ही परिवार |
इतने छोटी-सी उम्र में ज्ञानेश ने इन बाते को बहुत खुबसूरती में पेश की है, यह सच में काबिले तारीफ है | अगर इन्हे सबका सहयोग और प्यार मिले तो इसमें कोई शक नहीं है की वह बहुत आगे जाएगे | मै इनके सुखद , सुंदर और स्वस्थ जीवन की ह्रदय से कामना करती हूँ | आशा करती हूँ आपको सिड और सारा की कहानी पसंद आएगी |
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