"दिल से बंधी एक डोर जो दिल तक जाती है, प्यार के बंधन बांध जाती है" "बंधन रिश्तों के" "एक एहसास जो लगने लगे बेहद खास जब कोई अपना हो दिल के पास" बेहद अजीज होते है ये बंधन रिश्तों के, कुछ नाम के और कुछ बेनाम से। यह किताब समर्पित है, यह उन्हीं अनोखे रिश्तों को, जो हमें एक दूसरे से बांधे रखते है। हमने कोशिश की है उन्हीं अनमोल रिश्तों के मोतियों को अल्फाजों की डोर में बेहद खूबसूरती से पिरो कर एक अनोखा मुकाम देने की, एक सुंदर माला बनाने की। रिश्तों के गुलशन को प्रेम के गुल से महकाने के लिए, भावनाओं की बारिश से सींचना बेहद जरूरी होता है। जरा सोचिए क्या हो जो दुनिया में रिश्ते ही ना हो? इंसान का कोई व्यक्तित्व, कोई अस्तित्व ही नहीं रह जाएगा। यह रिश्ते ही तो होते हैं जो हमें जीने की वजह देते हैं।
"बंधन रिश्तों के" ये किताब उन्हीं छोटी-छोटी कोशिशों का बेहद मीठा फल है और प्रत्येक मानस की भावनाओं से परिपूर्ण है। इस किताब के भीतर एक गर्माहट है उन्हीं रिश्तों की, जिनमें जाने अनजाने हम बंधे रहते हैं और जिनसे बच पाना बेहद मुश्किल हो जाता है।