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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palहमारी जिंदगी में ऐसे अनेक लम्हें हैं जिन्हें हम महसूस तो करते हैं पर किसी के सामने रख नहीं पाते हैं। कहीं हमारे अतीत की कुछ धुंधली यादें जो हमें आगे बढ़ने से रोकती और अपनी ओर खींचती रहती हैं, तो कहीं अधूरे वादों का मजमुआ जो हालातों और मजबूरियों के नज़र हो गया। आंखों में मोतियों से भरे कुछ ख़्वाब जो बिखर कर रह गए, कहीं एक एहसास जिसे अल्फाज़ की शक्ल न मिल सकी, कुछ अनकही बातें जो हमारे अंदर ही दफ़्न रह गई। ज़िंदगी की कश्मकश में कहीं अपनों को खोते हम तो कहीं हमारे अपने जो हमें खो रहे। कभी लाहसिल के पीछे भागते हुए ज़िंदगी गुज़र गई, तो कहीं हासिल पर सब्र कर के जिंदगी गुज़ार दी गई। ऐसे अनेक अहससत और अनगिनत लम्हों को कविताओं की पंक्तियों में पिरो कर मैं अपनी चौथी लघु काव्य पुस्तिका "बेरुखी" को आप सबके बीच रख रही हूं। मैंने अपनी कविताओं को समाज के आईने के रूप में रखने की कोशिश की है। मुझे उम्मीद है आप इससे कहीं न कहीं ज़रूर जुड़ेंगे और मेरी कविताएं आपके हृदय तक ज़रूर पहुंचेगी।
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.युसरा फातमा (रूशी)
युसरा फातमा बिहार राज्य के सिवान ज़िले से हैं। 15 वर्षीय युसरा 11वीं कक्षा की छात्रा हैं। और अब तक तीन लघु काव्य पुस्तिकाएं— "जज़्बा", "मेरे हिस्से की कोशिश" और "शाम और तन्हाई" लिख चुकी हैं। और अपनी बातों को दुनिया भर में अपनी कविताओं के माध्यम से पहुंचा रहीं हैं।
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