पुस्तक-विवरण
उपन्यास, डिग्री कालेज, छग के बस्तर संभाग के नारायणपुर क्षेत्र के उन दो युवाओं की कहानी है, जो ग्रामीण स्कूलों से निकले हैं और कालेज में उलझे हैं।
तब नारायणपुर, एक ग्राम पंचायत और तहसील था। आसपास के गांवों का घोटुल जहां जगत्प्रसिद्ध था, वहीं उसका मेला और अबूझमाड़ के बीहड़ों का बसेरा सबको आकर्षित करता था। अब, सही-सलामत घोटुल रहा; न मेला, न गीतों का रेला। अब है, तो खौफ की साया; बंदूक की माया और रेड कारिडोर की अदृश्य छाया।
कालेज में अध्ययन-अध्यापन कम; रगड़ाई खूब होता था। खेलकूद, सांस्कृतिक सम्मेलन और एनएससी के छात्र-छात्राओं का भ्रमण भी हुआ करता था। तभी अबूझमाड़ के कुरूसनार में लाल सलाम ने गोलीचालन से सबको सलामी देकर अपनी मौजूदगी का एहसास करा दिया था।
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