आज का इंसा भीतर से टूट रहा है। बाहर से बिखर रहा है। समस्या सर्वांग समन्वय से संबंधित है। 'अंतर्मन की भावनाएं', 'कर्म' एवं 'वर्चुअल वर्ल्ड' के मध्य बैलेंस बनाना आवश्यक हो गया है। प्यार सबसे खूबसूरत अहसास के साथ-साथ रिश्तों के अस्तित्व की बुनियाद है। प्रो. गोगिया ज़िंदगी मिलेगी न दोबारा' में प्रेम की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत एवं दार्शनिकता को नये आयाम के साथ जीवन को आनंदमय बनाने का दृढ़ संकल्प लिये हैं । आप पुस्तक में पायेंगे कैसे प्रेम से आंतरिक शक्तियों का जागरण एवं विकास होता है। लेखक का मूल उद्देश्य है कि धरती के हर प्राणी के अंतःकरण को पवित्रता एवं सात्विकता प्रदान करना।
हर व्यक्ति में छिपी प्रतिभायें हैं। आप जो चाहें कर सकते हैं - पा सकते हैं एवं बन सकते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता वह चीज़ कितनी बड़ी है।
ईश्वर का बनाया ब्रह्मांड तो प्रचुरता का खज़ाना है। जब आप इसकी सत्ता को अपने अंतर्मन से महसूस करेंगे तो आप अपने लिये रोमांच एवं आनंद के द्वार खोल देते हैं। भाषा खरी चोखी है रचनाए प्रेरणा- स्त्रोत के साथ-साथ ईश्वर के पूर्ण उत्कृष्टता एवं एकता के साथ लिए हुए हैं ।