'कभी जलते कभी बुझते चिराग़' ग़ज़ल संग्रह 80 ग़ज़लों का संकलन है, जिनका मुख्य स्वर प्रेम है | इनमें दोनों ही भाव सम्मिलित हैं, माधुर्य भाव और विरह भाव | ग़ज़लें विभिन्न बहरों पर आधारित हैं |
डॉ. सोनिया गुप्ता, चंडीगढ़ के समीप शहर, डेरा बस्सी की रहने वाली हैं। एक दंत चिकित्सक होने के साथ साथ लिखना इनका शौक है । इन्होनें छंद, दोहे, गीत, ग़ज़ल, गीतिका आदि अनेक काव्य विधाओं को फेस बुक के मंचों के माध्यम से सीखा और बहुत कम समय में काव्य जगत में एक पहचान बनाई । इनकी रचनाएँ कई पत्रिकाओं, समाचार पत्रों, और साँझा काव्य संग्रहों में प्रकाशित हैं। डॉ सोनिया हिंदी, अंग्रेजी और पंजाबी भाषाओं में निपुण हैं । अभी तक इनके 10 काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें से 2 हिंदी में लिखे हैं और 8 अंग्रेजी भाषा में । 2015 में प्रकाशित इनके हिंदी के काव्य संग्रह 'ज़िंदगी गुलज़ार है' और 'उम्मीद का दीया' शामिल हैं, जो कि पाठकों को बेहद पसंद आये । इन्हें हिंदी व अंग्रेज़ी साहित्य में अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है । ये चित्रकारी, संगीत, और सिलाई-बुनाई में भी रूचि रखती हैं। इनके अपने दंत विभाग से जुड़े भी कईं आलेख प्रकाशित हैं। यह इनका हिन्दी में तीसरा काव्य संग्रह है।