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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal20 के दशक के पूर्वार्ध में भी कुछ महाकाव्य लिखे गए किंतु जयशंकर प्रसाद के 'कामायनी' तक आते आते परम्परा ने दम तोड दिया। उपन्यास ने महाकाव्य का लगभग सबकुछ छीन लिया किंतु भाव पक्ष अभी भी बचा था जिसको समेट कर महाप्राण ने एक नई काव्यविधा का अविष्कार किया जिसमें महाकाव्य का संपूर्ण भाव था किंतु विस्तार सीमित था। अब भाव का वैविध्य और संपूर्णता कम हुई किंतु उसकी प्रखरता और गहनता बढ़ गई जिस गहनता को उपन्यास कभी नहीं पा सकता था। इसी भाव प्रवणता में महाप्राण निराला ने कई लंबी कविताएं लिखीं जो आज भी साहित्य के कीर्तिमान हैं।
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। वे जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा के साथ हिन्दी साहित्य में छायावाद के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उन्होंने कई कहानियाँ, उपन्यास और निबंध भी लिखे हैं किन्तु उनकी ख्याति विशेषरुप से कविता के कारण ही है। हिंदी साहित्य में निराला को सम्मान से महाप्राण कहा जाता है
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