1947 में भारत स्वतंत्र हुआ था। यह पहली मुक्ति थी, राजनैतिक मुक्ति, मुक्ति 1.0। 1950 में डॉक्टर अंबेडकर और बी. एन. राव के नेतृत्व में भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ, यह मुक्ति 1.0 की अंतिम अ
भारतीय राष्ट्र की तीन महत्वपूर्ण संकल्पना वर्ष 1909 में तीन व्यक्तियों के वाक् में दिखती हैं। ये तीन व्यक्ति तीन ऐसे महान लोग थे जिनमें एक को अल्लामा कहा गया, दूसरे को महात्मा और
अपने एक वर्ष के कारावास के दौरान अरबिन्द लंबे समय तक एकांतवास में रहते हैं। इसी दौरान उनको आत्मसाक्षात्कार होता है और वह योग साधना के उच्च स्तर पर पहुँचते हैं। 1909 में जेल से बा
This book contains the history of India, it contains the facts of the present, it imagines the future of India and there are many visions to see all of them. Even after calling the book a story literature, this book will certainly appear in the original discussion on many topics and presenting new principles, some new fabricated words may also appear, but it is clear in its purpose.
This book has been written for the directionless and p
कामायनी हिंदी भाषा का आधुनिक छायावादी युग का सर्वोत्तम और प्रतिनिधि हिंदी महाकाव्य है। 'प्रसाद' जी की यह अंतिम काव्य रचना 1936 ई. में प्रकाशित हुई, परंतु इसका प्रणयन प्राय: 7-8 वर्ष पू
20 के दशक के पूर्वार्ध में भी कुछ महाकाव्य लिखे गए किंतु जयशंकर प्रसाद के 'कामायनी' तक आते आते परम्परा ने दम तोड दिया। उपन्यास ने महाकाव्य का लगभग सबकुछ छीन लिया किंतु भाव पक्ष अ
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This book contains the history of India, it contains the facts of the present, it imagines the future of India and there are many visions to see all of them. Even after calling the book a story literature, this book will certainly appear in the original discussion on many topics and presenting new principles, some new fabricated words may also appear, but it is clear in its purpose.
This book has been written for the direction
This book contains the history of India, it contains the facts of the present, it imagines the future of India and there are many visions to see all of them. Even after calling the book a story literature, this book will certainly appear in the original discussion on many topics and presenting new principles, some new fabricated words may also appear, but it is clear in its purpose.
This book has been written for the directionless and purposeless socie
भगत सिंह ने जेल में रहते हुए यह लेख लिखा था और यह 27 सितम्बर 1931 को लाहौर के अखबार “द पीपल“ में प्रकाशित हुआ। स्वतन्त्रता सेनानी बाबा रणधीर सिंह 1930-31के बीच लाहौर के सेन्ट्रल जेल
जिनको नागफनी में केवल काँटे नहीं दिखते हैं, जिनको सफेद रंग में केवल विश्वास नहीं दिखता, जो रक्त को केवल नरसंहार नहीं कह्ते, जो नागफनी के जंगल के परे भी सत्य को देखने की दॄष्टि रखते
यदि आप तक 'हिंदुफोबिया' पुस्तक पहुंच चुकी है तो यह पुस्तक आपके लिये नहीं है। यदि नहीं, तो यह शृंखला एक शुरुआत हो सकती है। हिंदुफोबिया पुस्तक की लंबाई को देखते हुए एक सुझाव पुस्त
यदि आप तक 'हिंदुफोबिया' पुस्तक पहुंच चुकी है तो यह पुस्तक आपके लिये नहीं है। यदि नहीं, तो यह शृंखला एक शुरुआत हो सकती है। हिंदुफोबिया पुस्तक की लंबाई को देखते हुए एक सुझाव पुस
यदि आप तक 'हिंदुफोबिया' पुस्तक पहुंच चुकी है तो यह पुस्तक आपके लिये नहीं है। यदि नहीं, तो यह शृंखला एक शुरुआत हो सकती है पुस्तक की लंबाई को देखते हुए एक सुझाव पुस्तक को शृंखला के
इस पुस्तक में भारत का इतिहास सम्मिलित है, इसमें वर्तमान के तथ्य भरे हुए हैं, इसमें भविष्य के भारत की कल्पना है और इन सभी को देखने की कई दृष्टि भी हैं। पुस्तक को कहानी साहित्य क
यह पुस्तक लोकतंत्र की खोज संसद भवन या नेताओं की रैली में नहीं करती है। यह पुस्तक लोकतन्त्र की खोज करती है चाय की चर्चाओं में, रेल के डिब्बों में, शयनकक्ष में, परिवार के निर्णयों
कोई कहे की प्रेम नहीं छिछोरापन है, कोई कहे प्रेम नहीं वासना है, कोई कहे प्रेम तो वतन से करो, कोई कहे मां बाप से करो, कोई कहे शादी के बाद करो ,कोई कहे धोखा है, कोई
माँ के प्रति भावनाएं व्यक्त करते हुए शब्द समाप्त हो जाते हैं, विशेषण समाप्त हो जाते हैं, प्रतिमान पुराने लगने लगते हैं और एक विवशता कि स्थिति उत्पन्न हो जाती है जहां व्यक्त बहु
दिल्ली में पढ़ने वाले अधिकतर लड़के जिस तरह के पीजी में रहते हैं वैसा ही एक पीजी मुझे भी मिल गया। तीसरी मंजिल पर 7×8 Read More...