अपने एक वर्ष के कारावास के दौरान अरबिन्द लंबे समय तक एकांतवास में रहते हैं। इसी दौरान उनको आत्मसाक्षात्कार होता है और वह योग साधना के उच्च स्तर पर पहुँचते हैं। 1909 में जेल से बाहर आने के पश्चात वह राजनैतिक सक्रियता त्याग देते हैं और नया उद्देश्य धारण करते हैं। वह भारतीय सांस्कृतिक जागरण और राष्ट्रवाद के जागरण को एक दूसरे का पर्याय घोषित करते हैं। जेल से बाहर आने के पश्चात उत्तरपाड़ा में अरबिन्द ने ऐतिहासिक महत्व का अपना पहला सार्वजनिक आख्यान दिया जो उत्तरपाड़ा आख्यान के नाम से इतिहास में प्रसिद्ध हो गया।