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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमैं शायरों के लिए मिर्ज़ा ग़ालिब बना,
पाठकों के लिए लेखक।
जिसे हसना था, मैं ने जोकर बन हसाया।
जिसे कुछ सुनना था, गीतकार बन सुनाया।
कुछ को जानवर पसंद थे, तो मैं उनके लिए
वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर भी बना।
तो कुछ को कंप्यूटरों से प्यार था,
तो लो मैं टेक्नोलॉजी का जीनियस भी बन गया।
पर अंत में उन्हें मैं खुश न कर पाया।
मैं उनकी उम्मीदों पर खरा न उतर पाया
क्योंकि उन्हें बुरे लोग पसंद आते हैं
और मैं वही नही बन सका।
- प्रवीन गुप्ता
ऑर्फियम इंडिया (Orpheum India) के संस्थापक, प्रवीन गुप्ता का लेखक बनना कोई इत्तेफ़ाक नही बल्कि साजिश थी ताकि वह इस दुनिया को बेनकाब कर सकें और लोगों को सच्चाई से वाकिफ कराएं। उनके लेखन चुनने की वजह नाही इश्क है, ना ही धोखा और नाही चाहत। उन्होंने तब तब लिखा है जब जब वह उदास और अकेले हुए हैं। और आजकल तो वह सिर्फ लिख ही रहे हैं। मैं और मेरा अकेलापन बस उसी सफर का एक दास्तां हैं। आशा है की आप प्रवीन के शायरियो और गजलों से जुड़ेंगे।
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.प्रवीन गुप्ता
मौजूदा रूप से दिल्ली में रहने वाले प्रवीन गुप्ता का जन्म 11 मार्च, 2004 को कवियों के नगरी, गोरखपुर में हुआ था | प्रवीन ने मात्र 14 साल के उम्र से ही किताबें लिखना शुरू कर दिया और अब तक उन्होंने 'मैं और मेरा अकेलापन' को मिलाकर पांच किताबें प्रकाशित कर दी हैं, जिनमे से सभी अंग्रेजी भांषा में लिखी हुईं है | वे लिखने के साथ साथ गाने बनाने, कंप्यूटर कोडिंग और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी में भी दिलचस्पी रखतें हैं | प्रवीन ने 2021 के अप्रैल महीने से एक सोशल मीडिया एप्प बनाना शुरू किया जिसे वो उसी साल जून में सफलतापूर्वक गूगल के प्ले स्टोर पर लांच कर दिया, अंततः बन गये कार्ड (Cord) के संस्थापक | उनके बारे में देश के कई नामी अखबार भी छाप चुके हैं | उनका सपना है की वह भारत को एक समृधि और आधुनिक देश बनायें |
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