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Tukda Tukda Love / टुकड़ा-टुकड़ा लव

Author Name: Narayan Gaurav | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

जिन आँखों से शादाब पहले क्लियर दिखता था, अब ब्लर होता जा रहा था। उसके पिक्सल टूटते जा रहे थे। जैसे कभी-कभी कोई फ़ोटो एक मोबाइल से दूसरे मोबाइल में भेजते ही अपनी क्वालिटी खो देती है वैसे ही शादाब भी उसकी नज़रों से निकलकर दूसरी की नज़रों में जाकर धुंधलाता जा रहा था। उसे क्लियर करने की कोशिश में वह उससे जा उलझती और वह और भी धुँधला जाता। ऐसी ही कोशिश में एक दिन उसने शादाब की बजाय ख़ुद को धुँधला पाया। मोहब्बत के अर्श से बेवफ़ाई के फ़र्श पर खुद को गिरता पाया। इश्क में टूटते तो बहुत हैं, टूटकर खुद को बिखरता पाया। दिल और रूह तो उसकी पहले ही खंडित हो चुकी थी, अपनी देह को भी उसने खंड-खंड पाया। 

 

मुक़म्मल इश्क़ की तलाश में घर से चली थी..

पर हाय री तक़दीर, टुकड़ों-टुकड़ों में बँटी थी।

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नारायण गौरव

11 फरवरी 1977 को दिल्ली में जन्मे नारायण गौरव अपराध-कथा के विशेषज्ञ हैं। यह विशेषज्ञता लेखक ने अपराध करते-करते हासिल की है जो बचपन से ही शुरू कर दिए थे। स्कूल की किताबों की आड़ में कॉमिक्स व जासूसी नॉवल पढ़ना हो या कॉलेज के नाम पर सिनेमाहॉल जाकर क्राइम थ्रिलर फिल्मों का आनंद उठाना, लेखक ने सारे अपराधों को बग़ैर कोई सबूत छोड़े बख़ूबी अंजाम दिया है। अपने स्कूल-डेज़ में ही लेखक ने यह इरादा कर लिया था कि बड़ा होने पर वह किसी बड़े अपराध को अंजाम देगा, तो इसी कोशिश में उसने दिल्ली यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में न केवल एम.ए. किया बल्कि सरकारी क्षेत्र में एक ठीक-ठाक सी नौकरी भी हासिल कर ली लेकिन बड़ा अपराध करने की लेखक की भूख यहीं शांत नहीं हुई बल्कि उसका लालच और बढ़ता गया। नतीजा यह हुआ कि लेखक लेखन के क्षेत्र में उतर आये और अपने बचपन के सपने यानी सबसे बड़े अपराध को अंजाम देने के अपने मंसूबे को कामयाब करते हुए इस उपन्यास ‘टुकड़ा-टुकड़ा लव’ की रचना कर डाली। अब इस अपराध के लिए लेखक को क्या दंड देना है यह जनता की अदालत यानी आप पाठकों की अदालत में तय होना है। तो देर न कीजिये जल्दी से पढ़ डालिए ‘टुकड़ा-टुकड़ा लव’ और सुना डालिए अपना फैसला।

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