संयुक्त अरब अमीरात एक ऐसा देश है जहाँ प्रत्येक वह कार्य होता हुआ दिख जाता है जो युगांतर से असंभव समझा जाता रहा है। यहाँ की ऊष्ण जलवायु में जैसे वनस्पति उत्तरजीविता सीख लेती है, वैसे ही मानव भी अनुरूपण विकसित कर लेते हैं। राष्ट्रीय वृक्ष ‘ग़ाफ़’ अपनी जड़ों से धरती को बेधकर पानी खींच लेता है और अपने नुकीले काँटों द्वारा वायु की आर्द्रता से पानी सोख लेता है वैसे ही यहाँ का साहित्य समाज शुष्कता के भीतर भी रसास्वादन कर लेता है और वह अर्क छलक-छलककर अब विश्व तक अपनी छींटे पहुँचा रहा है। यू.ए.ई. के रचनाकार राष्ट्रीय पक्षी बाज़ के समान ही अपने उद्देश्य पर पैनी दृष्टि रखते हुए रचनाकर्म में प्रवृत्त हो रहे हैं। ‘दुबई’ नाम से ख्यातिप्राप्त यह देश यू.ए.ई. अपनी आर्थिक समृद्धता के साथ ही बौद्धिक समृद्धता के रूप में अपनी पहचान बनाने को अग्रसर है।
यू.ए.ई. के प्रवासी रचनाकारों को समर्पित इस पुस्तक को पाठकों की रुचि और सुविधा के लिए 5 अध्यायों में विभक्त कर रचा गया है। पहले अध्याय ‘काव्य खंड’ में कविता, दोहे, हाइकु, गज़ल तथा नज्म पढ़कर गुनगुनाइए। ‘कथात्मक गद्य’ दूसरे अध्याय में कहानी, लघुकथा आदि से काल्पनिक जगत की सैर कर आइए। तीसरे खंड ‘कथेतर गद्य’ में संस्मरण, यात्रा वृत्तांत, आलेख, पुस्तक समीक्षा, साक्षात्कार, रिपोर्ताज आदि द्वारा देश-दुनिया का ज्ञान पाइए। चौथा खंड ‘चित्र कानन’ की दृश्य-दावत में फ़ोटोग्राफ़ी, चित्रकारी, पेंसिल वर्क, चित्र-प्रदर्शनी के दर्शन कर यू.ए.ई. की कला-समृद्धि का स्वाद चखिए। पाँचवें व अंतिम खंड में यू.ए.ई. के तमाम रचनाकारों से मिल लीजिए। इस पुस्तक के माध्यम से आप यू.ए.ई. के प्रवासी भारतीय संचयकारों के मन-भाव तक पैठ बना सकेंगे।
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