कहानी सिनेमा, सत्तर के दशक में गांव के एक परिवार पर घटित ऐसी अदना सी घटना के इर्दगिर्द घूमती है, जिसने उस परिवार की ईमानदारी पर पूरे 10 वर्षों तक प्रश्नचिन्ह् लगाकर रखा। उपन्यास की दूसरी कहानी बाॅसगिरी दंभ और दृष्टिकोण पर आधारित है जो बाॅस और कर्मचारी के मानसिक स्तर के द्वंद को उजाकर करती प्रतीत होती है। तीसरी और इस उपन्यास की अंतिम कहानी जी.एम.! प्राइवेट नौकरी में पद के महत्व और कार्यशैली को आइना दिखाती है। तो आइए इन कहानियों में प्रवेश करते हैं-