अनजानी चीज हमें डराती है. इस से हम भयभीत होते हैं. इसलिए उन से डर लगता है. यही डर हमें भय का भूत लगता है. भूत हमारा वहम होता हैं. कभी हम हमारी छाया से डर जाते हैं. वही हमारे लिए भूत हो जाती है.
तब सवाल उठता है कि भूत होते हैं ? इस का जवाब नहीं. इस को हम ने कांव-कांव के भूत में समझाने की कोशिश की. जो चीज हमें दिखाई नहीं देती हैं. उसे डरते हैं तो वह हमारे लिए भूत हो जाती है.
आप दौड़ लगा रहे हो और पीछे से छमछम की आवाज आने लगती है. आप को लगता है कि भूत या चूड़ैल आप के पीछे पड़ गई है. आप भय से भागने लगते हैं. वह भूत या चूड़ैल भी तेजी से आप के पीछे आने लगती है. तब आप भय से घबरा जाते हैं. मगर, जब रूक कर शांति से सोचते हैं तब पता चलता है कि वह जेब में रखी चाबी के घुंघरी की आवाज थी. जिसे आप चूड़ैल की पायल समझ कर डर गए थे.