‘‘घड़ी की वो सुई’’ उस बुजुर्ग व्यक्ति की ओर ध्यान आकर्षित करती है, जो घर का तथाकथित मुखिया तो है, लेकिन उसकी महत्ता घड़ी की उस सुई की तरह ही हो गई है, जो घड़ी चलने का प्रमाण तो देती है, लेकिन जब भी लोगों की निगाहें घड़ी पर जाती है तो उस सुई पर किसी का ध्यान नहीं जाता। उस सुई का महत्व तभी पता चलता है, जब वह रुक जाती है, और घड़ी बंद हो जाती है।
जिस तरह घड़ी की सुईयों का महत्व संयुक्तता में है वैसे ही परिवार के सदस्यों का महत्व भी संयुक्तता में हैं, इसी विचारधारा को बढ़ावा देने वाली ये रोमांचित कहानी प्रस्तुत है ‘‘घड़ी की वो सुई’’
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