हिन्दी की कहानी विधा की लोकप्रियता समय काल की सीमाओं को लाँघकर वर्तमान में भी पाठक वर्ग में गहरी पैठ जमाए हुए है। प्रस्तुत कहानी संग्रह में संकलित कहानियों के कथानक भिन्न-भिन्न पृष्ठभूमियों से लिए गए हैं। समाज में व्याप्त अपराध, आधुनिक नारी की छद्म सशक्तता, दलित समाज के प्रति कृतज्ञता, वर्तमान में भर्ती में व्याप्त भ्रष्टाचार का सामान्य युवक समाज के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर कहानियों का ताना बाना बुना गया है। पापा लो मैं फिर आ गया से एक अंश -
.......और मुकेश की आँखों से कोर्ट का फैसला सुनते ही आंसुओं का सैलाब बह निकला .पिछले दो साल से अपने प्रियांशु के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए दोनों ने दिन रात एक कर दिए थे .आज जाकर दिल को ठंडक पहुंची तो आँखों से आंसू बह निकले .मीनाक्षी को धैर्य बंधाते हुए मुकेश बोला -''मैं न कहता था मीना इस हत्यारे को फांसी की सजा जरूर मिलेगी .............