'झरोखे' वस्तुओं को देखने वाले लैंस की तरह ही हैं। जैसा लैंस होगा, वैसा ही दिखाई देगा। लैंस मैला है, तड़का है या अपारदर्शी है, वस्तुएँ वैसी ही दिखेंगी। दुनिया को देखने के लैंंस झरोखे कहलाते हैं। जब हम झरोखे बंद कर लेते हैं तो बाहर की दुनिया हमारी आँखों से ओझल हो जाती है। बाहरी दुनिया देखने के लिए कभी अपने अन्य झरोखों को बंद कर केवल यात्रा के झरोखे खोलने की आवश्यकता होती है। यात्राएँ आपको रोजमर्रा की भागमभाग की दुनिया से दूर ले जाती हैं। घर की, दफ़्तर की समस्याओं को भूल एक अन्य संसार में प्रवेश का साधन होती हैं यात्राएँ।
एक यात्रा कर लौट आने क बाद ही अहसास होता है कि एक नया जन्म मिला है और हम अपनी घर-बाह्र की परेशानियों को सुलझाने पूरे मनोयोग से लग जाते हैं। यात्रा करना भी कोई आसान काम नहीं है। उसकी पूर्व योजना बनानी होती है, समस्त जानकारी एकत्र करनी होती है। टिकट, वीसा, होटल बुक करना; सभी करना होता है। फिर आता है काम उस देश की मूल जनाकारी का और दर्शनीय स्थलों की सूची का। यह पुस्तक 'झरोखे' आपके लिए ऐसी कई समस्याओं का समाधान लेकर प्रस्तुत हुई है। दुनिया के पाँच देशों की बहुत सारी घूमने में सहायक जानकारी इस पुस्तक में दी गई है। इस पुस्तक के झरोखों से आप देख पाएँगे दुनिया के कई देशों को, जैसे- यूक्रेन, मोंटेनेग्रो. मलेशिया, किर्गिस्तान, सल्तनत ऑफ़ ओमान।
आशा है यह पुस्तक आपकी यात्राओं को नियोजित करने में सहायक सिद्ध होगी और इसे घुमक्कड़ प्रजाति की पाठकोंंका भरपूर स्नेह प्राप्त होगा।