गद्य-साहित्य पर शोधरत विद्यार्थी जानते हैं कि मात्र उपन्यास, कहानी, लघुकथा और नाटक ही गद्य नहीं हैं। गद्य का क्षितिज कथा-साहित्य के आकाश और कथेतर साहित्य की धरा के मिलन से बनता है। आकाश सरलता से दिखाई देता है और धरा के नग अनचीह्ने रह जाते हैं। कथा से इतर वे कथनीय कहन के उद्गार समय की परतों में अकथनीय बन ‘कथ्य-अकथ्य’ पुस्तक में अवतरित हुए हैं।
‘कथ्य अकथ्य’ में ऐसे 30 से अधिक आलेख संग्रहीत हैं जो गद्य की अलग-अलग कथेतर विधाओं के अंतर्गत आते हैं। । पुस्तक स्मृतिशेष लेखिका डॉ. आरती ‘लोकेश’ की प्रिय सखी डॉ. उदीशा शर्मा को समर्पित है। डॉ. सुमन राठी, हिंदी प्रोफ़ेसर, बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय ने इस पुस्तक की भूमिका लिखी है।
कथेतर रचनाओं का संकलन होने के कारण विषयवस्तु के चयन में बहुत सावधानी बरती गई है। ‘कथ्य-अकथ्य’ में संकलित करने के लिए ध्यानपूर्वक कथेतर गद्य की अनेक विधाओं की एक-एक रचना का चयन किया गया है। इसमें रेखाचित्र, संस्मरण, शोध-आलेख, शोध-निबंध, व्यंग्य, हास्य, रिपोर्ताज, समीक्षा, मीमांसा, डायरी, पत्र, साक्षात्कार, सम्पादकीय, समाचार, संवाद आदि सबकी रचनाएँ लेने का प्रयास किया है। इसके अतिरिक्त पुस्तक भूमिका, विवेचना, टिप्पणी, अनुच्छेद, अशुभाषण आदि को भी स्थान दिया है। यात्रा-वृत्तांत की अलग पुस्तक ‘पाँव ज़मीं पर’ निर्माणाधीन है। अनावश्यक दोहराव से बचना इस पुस्तक का प्रमुख उद्देश्य है। आशा है गद्यध्येताओं के लिए यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी।