एक तरफ कोरोना महामारी ने अपने पैर पसारने शुरू किये ही थे कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सम्पूर्ण भारत बन्द कर दिया। सब काम बन्द। न कहीं आना और न कहीं जाना। समय खाली था। अब क्या किया जाये। ऐसी स्थिति में मैंने कलम उठाई और कुछ ऐसी पक्तियों का निर्माण करने लगा कि प्रतिदिन एक कविता एक बिन्दु पर लिखने लगा। प्रतिदिन आये नवीन विचार पर कुछ पक्तियॉं लिखकर मन को तसल्ली देने लगा। इन कविताओं ने मेरे अन्दर तो साहस का संचार किया ही, कई दोस्तों, रिश्तेदारों एवं समाजसेवकों ने प्रशंसा करना शुरू कर दिया।
बस सिलसिला शुरू हो गया। दिन ऐसे कटने लगे कि दिन कब निकल जाता पता ही नहीं चलता। कविता माला में नवीन रचना हेतु नवीन विचार आते ही शरीर में एक स्फूर्ति एवं साहस का संचार उठने लगता। कई सम्पादकों एवं लेखकों ने मेरी लिखी रचना पर ऐसे शब्द अभिव्यक्त किये कि मैं विश्वास नहीं कर पा रहा था कि क्या इन पक्तियों में लिखे शब्दों को मैं ही अभिव्यक्त कर रहा हूँ या कहीं दूर कोरोना महामारी में उठे दर्द भरे मन मेरे मन से टकराकर नवीन रचना का सूत्रपात कर रहे है।
मैं आशा करता हूँ कि मेरी लिखी कुछ चन्द पक्तियॉं आपके दिल को छू जाये तो मेरी लिये यह गर्व की बात होगी। साथ ही उक्त पक्तियों को जीवन में आत्मसात कर जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दूसरों को भी प्रदान करें।