संग्रह की चारों कहानियाँ हमारे परिवेश की कहानियाँ है। ये अति सहज कथोपकथन के साथ सरल भाषा में लिखी उद्देश्य परक रचनाएँ है। इनकी रोचकता पाठक को आकर्षित करती है। पहली कहानी आई वाट टू सी में मोबाइल की उपयोगिता बताई गयी है। दूसरी कहानी 'दिल्ली की सैर' में कृत्रिम सौर मण्डल यानी प्लेनेटोरियम की कार्यप्रणाली के बारे में बहुत रोचक ढंग से जानकारी दी गयी है। यह कहानी यह संदेश देती है कि हमारे बच्चे अधिक जानकार और जागरूक है।"दादू का जादू" कहानी हर परिवार की कहानी है। अनियमित दिनचर्या के कारण इस कहानी का पात्र धैर्य घर से स्कूल तक अस्तव्यस्त तथा परेशान रहता है। दादा जी की प्रेरणा से वही बच्चा नियमित रूप से सवेरे उठने और प्रातः भ्रमण पर जाने लगता है। इस प्रकार न सिर्फ उसकी दिनचर्या नियमित हो जाती है बल्कि वह अपनी पढाई भी व्यवस्थित ढंग से करने लगता है। सबसे अच्छी बात यह है कि दादाजी अपने पोते को सारी अच्छी बातें उपदेश के रूप में नहीं बल्कि सहज रूप से खेल-खेल में सिखा जाते है। चौथी कहानी "समस्या की जड़" भी लगभग इसी पृष्ठभूमि की कहानी है। यह कहानी बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावको को भी यह सीख दे जाती है कि बच्चा अपने माता-पिता तथा बड़ों का अनुसरण करता है। वह घर में जो कुछ देखता है वही सीखता है इसलिए माँ-बाप को चाहिए कि यदि वे अपने बच्चों को सुसंस्कारित करना चाहते हैं तो उनके सामने सही एवं मर्यादित आचरण करें। अखिलेश श्रीवास्तव चमन
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