आधी रात के अंधेरे में खिड़की के कांच पर मानवाकृति के सिर की परछाई दिखाई दी, जिसने सिर पर कुछ ओढ़ रखा था। जानकी ने जैसे ही उस ओर देखा, जोर से चीखने की कोशिश की, लेकिन शायद डर के कारण आवाज ने भी धोखा दे दिया था। जानकी ने सो रहे शर्मा जी को उठाने के लिए हल्का सा धक्का दिया, शर्मा जी ने घबड़ाकर आंखे खोल दी। जानकी को बैठा हुआ देखकर शर्मा जी भी उठकर बैठ गये - ‘‘क्या हुआ इतनी रात को ऐसे क्यों बैठी हो?’’ जानकी की ओर देखकर शर्मा जी ने आश्चर्य से पॅूछा। जानकी ने खिड़की की ओर देखकर कहा- ‘‘वो देखिए वहां क......क.....कौन है...............कहीं वो’’