रोम आज ईसाइयत का एक मुख्य केंद्र है, लेकिन वह वैभवशाली रोमन साम्राज्य ईसाई नहीं था, जिसमें जूलियस सीजर और नीरो जैसों ने राज किया। जैसा कहा जाता है- रोम एक दिन में नहीं बना। कई बार गिरा, जल कर राख हुआ। कई बार फिर से नयी शुरुआत हुई। इसने गणतंत्र देखे, तो तानाशाही भी देखी। बर्बर गॉल से पराजय देखी, और ग्लैडिएटर खेलों की खूनी बर्बरता दिखायी। जूपिटर देवता के पूजक रोम ने एक मसीहा को सूली पर लटकते देखा। उनके अनुयायियों के सामूहिक नरसंहार के बाद आखिर ऐसी क्या घटना हुई कि वे खुद ईसाई बन बैठे? बॉन्जुरी प्रोजेक्ट की नयी पेशकश रोम के षडयंत्र, राजनीति, शक्ति, पूँजी, रोमांस, क्रूरता और आस्था से गुजरते हुए आज की दुनिया के सूत्र तलाशती है।
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