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Silicon kee chidiya / सिलिकन की चिड़िया भारत के कंप्यूटर शक्ति बनने की कहानी

Author Name: Praveen Kumar Jha | Format: Hardcover | Genre : Educational & Professional | Other Details

 कभी भारत के लोगों को कहा गया था कि वे मशीनी दुनिया के लिए नहीं बने। उनमें यंत्र बनाने की क्षमता ही नहीं। जब ऐसा कहा जा रहा था, उस वक्त भी भारत में वह तरंगें मौजूद थी। भारत इंजीनियरों के ऐसे देश बनने की ओर बढ़ रहा था, जिनकी जरूरत पूरी दुनिया को होगी। आइआइटी और कंप्यूटर की जमीन तैयार हो रही थी। अमरीका से कदमताल मिलाते हुए इसने ऐसा तंत्र बनाया जिसकी जरूरत अमरीका को भी पड़ने लगी। सॉफ़्टवेयर पार्कों के शीशमहल से गाँव के पान की दुकान में लगे QR कोड तक। किस तरह सोने की चिड़िया कहा जाने वाला यह देश बना सिलिकन की चिड़िया? 

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प्रवीण कुमार झा

 प्रवीण कुमार झा अपने बहुआयामी लेखन के लिए चर्चित नाम हैं। उन्होंने गिरमिटिया इतिहास पर ‘कुली लाइन्स’, हिंदुस्तानी संगीत पर ‘वाह उस्ताद’, खेल पर ‘स्कोर क्या हुआ?’, रूस इतिहास, कथा-विधा में ‘चमनलाल की डायरी’, जयप्रकाश नारायण की जीवनी, यूरोपीय देशों जैसे नॉर्वे, नीदरलैंड, और आइस्लेंड पर संस्मरण लिखे हैं। उन्होंने ‘दास्तान-ए-पाकिस्तान’, ‘रिनैशाँ’, ‘सायनाइड’, ‘गांधी परिवार’, ‘ब्लू स्टार’, ‘इंका, एज्टेक और माया’ जैसी इतिहास आधारित पुस्तिकाएँ भी लिखी है। उनका जन्म बिहार में हुआ, अमरीका और यूरोप महादेशों में रहे। सम्प्रति नॉर्वे में विशेषज्ञ चिकित्सक हैं।

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