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Kuen Ke Mendhak / कुएँ के मेंढक

Author Name: Pallavi Supehia | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

कविताएँ बेकार लग सकती हैं, लेकिन उनकी संक्षिप्त और स्पष्ट प्रकृति लोगों को सबसे अधिक आकर्षित करती है। सबसे कम पढ़े-लिखे लोगों केपास भी कुछ पहेलियाँ या कविताएँ सुनाने के लिए होती हैं। यह जीवन के संघर्षों और खुशियों के प्रति एक श्रद्धांजलि है जिसे कविता के रूप मेंलिखा गया है। यह पल्लवी की कविताओं का संग्रह है जिसे उन्होंने अपने जीवन के विभिन्न चरणों में लिखा, सबसे पहले तब जब वह मात्र आठवींकक्षा में थीं। इस पुस्तक में पल्लवी कल्पनात्मक रूप से बात करती हैं कि बादल क्या होते होंगे?, महिलाएँ सूर्यास्त के बाद कहाँ जाती हैं?, पल्लवीने दिशाओं के बारे में कैसे सीखा?, और वास्तव में वयस्क होने का क्या मतलब होता है? और इसी तरह के अन्य विषयों पर।
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पल्लवी सुपेहिया

पल्लवी सुपेहिया का जन्म 31 अक्टूबर 1996 को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में हिमालय की धौलाधार पर्वत श्रृंखला की गोद में हुआ था। जब तकपल्लवी ने ठीक से अपना उपनाम लिखना सीखा, उसके पिता की फ़ौज की नौकरी उन्हें पहाड़ों से दूर भारत दर्शन पर ले गई। पल्लवी को भारतीयभोजन, संस्कृति और इसकी विभिन्न भाषाओं में गहरी रुचि है। यह पल्लवी की पहली पुस्तक है जिसमें वह दुनिया को अपनी काव्यात्मक सोच काअंदरूनी नज़रिया दिखा रही हैं। वह बताती हैं कि बच्ची, महिला और वयस्क होना कैसा लगता है।
 
आप पल्लवी से LinkedIn पर संपर्क कर सकते हैं।

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