भारतीय राष्ट्र की तीन महत्वपूर्ण संकल्पना वर्ष 1909 में तीन व्यक्तियों के वाक् में दिखती हैं। ये तीन व्यक्ति तीन ऐसे महान लोग थे जिनमें एक को अल्लामा कहा गया, दूसरे को महात्मा और तीसरे को महर्षि। अल्लामा इकबाल ने उसी वर्ष अपना सर्वाधिक मशहूर "शिकवा" लिखा। इसी वर्ष महात्मा गांधी ने अपनी विचारधारा के प्रतिनिधि के रूप में "हिंद स्वराज" का प्रथम संस्करण प्रकाशित किया। इसी वर्ष अलीपुर बम धमाके से मुक्त होने बाद महर्षि अरबिंद घोष ने अपना प्रसिद्ध "उत्तरपाड़ा आख्यान" दिया था। ये तीन महान वाक् अभिव्यक्तियां राष्ट्र की अवधारणा और राष्ट्रवाद की परिभाषा को उच्चारित करती हैं। इन तीनों ही विचार में जो एक चीज समान है वो इनका वैश्विक दृष्टिकोण है। तीनों ही विचारधारा राष्ट्र की परिधि को विकासशील मानते हुए पूरी दुनिया को अपनी राष्ट्रवाद की परिभाषा में समेटने का दृष्टिकोण रखती हैं। किंतु तीनों की दिशा अलग अलग है, तीनों के विस्तार का तरीका अलग है, इसलिए तीनों अलग हैं।