'हिंदी गीता काव्य' श्रीमद्भगवद्गीता का सरलतम काव्य रूपांतरण है, जो हिंदी की न्यूनतम जानकरी रखने वाले पाठक को भी आसानी से समझ आएगा। इसका उद्देश्य गीता को सरल भाषा और रोचक काव्य के रूप में उन सब लोगों तक पहुंचाना है जो गीता पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन भाषा व शैली की कठिनाई के कारण ऐसा नहीं कर पाते और उन तक भी जो इसे एक मज़हबी ग्रंथ समझकर इससे दूरी बना लेते हैं । पुस्तक से कुछ दोहे:
भीष्म और गुरु द्रोण हैं, पूजनीय श्रीमान।
इन पर केशव किस तरह, तानूं तीर कमान।।
आत्मा अविनाशी सदा, मिटता सिर्फ शरीर।
फिर क्यों मरने से डरें, युद्ध करो तुम वीर।।
मृत्यु मिले तो स्वर्ग है, विजय मिले तो राज्य।
निश्चित होकर युध्द कर, चिंता तेरी त्याज्य।।
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