Share this book with your friends

Jo kaha nahi gya / जो कहा नहीं गया लफ़्ज़ों से परे, तुमने भी जिया

Author Name: Aparajitaparam | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

 जो कहा नहीं गया – लफ़्ज़ों से परे, तुमने भी जिया

कुछ कहानियाँ ख़ामोशियों में ज़िंदा रहती हैं। कुछ सच्चाइयाँ शब्दों के बीच की खामोशी में साँस लेती हैं।

यह संग्रह 91 कविताओं का है, जो जीवन के हर रंग और हर अहसास को समेटता है—कभी छोटी तो कभी लंबी कविताएँ, कहीं व्यंग्य की तीक्ष्णता तो कहीं ग़ज़लों की नज़ाकत। यह विविधता मिलकर भावनाओं का ऐसा ताना-बाना बुनती है जो पाठकों को अपना-सा लगता है और हमेशा याद रह जाता है।

जो कहा नहीं गया सिर्फ़ एक कविता-संग्रह नहीं, बल्कि दिल का आईना है। यह अनकहे जज़्बातों, अधूरी बातों और उन अहसासों की यात्रा है जिन्हें शब्दों में बाँध पाना आसान नहीं। हर कविता एक टुकड़ा है—चाहत का, संघर्ष का, तलाश का—जो मोहब्बत, विरह, उम्मीद और आत्मबोध की अनगिनत तस्वीरें उकेरता है।

हर पन्ना कहता है,“तुम अकेले नहीं हो।”
हर शेर याद दिलाता है: नर्मी में भी ताक़त है, टूटन में भी ख़ूबसूरती है, और अपने सच को स्वीकारने में ही असली साहस है।

चाहे आप हिंदी साहित्य के प्रेमी हों, सुकून के तलाशगर, या कोई ऐसा जिसने अपने दिल में अनकहे शब्द सँजोए हों—यह किताब आपके लिए एक साथी, एक हमराज़ और एक सच्चा दोस्त साबित होगी।

क्योंकि कभी-कभी, जो कह नहीं पाते… वही हमें सबसे गहराई से जोड़ देता है।

Read More...
Paperback

Ratings & Reviews

0 out of 5 (0 ratings) | Write a review
Write your review for this book
Paperback 199

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

अपराजितापरम

अपराजितापरम (असली नाम: परमजीत कौर) हिंदी साहित्य की गहरी संवेदनाओं से उपजी एक ऐसी लेखिका, कवयित्री और कथावाचक हैं, जिनकी रचनाएँ सीधे दिल से निकलकर आत्मा को छू जाती हैं। पिछले 26 वर्षों से हिंदी अध्यापन और शैक्षिक समन्वयक के रूप में उन्होंने न केवल असंख्य विद्यार्थियों को शिक्षा दी है, बल्कि उनके जीवन को नई दिशा और संवेदनशील दृष्टिकोण भी प्रदान किया है। उनके लिए शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं, बल्कि इंसानियत, करुणा और जीवन के संघर्षों की गहरी समझ है।

पत्रकारिता और हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर होने के कारण उनकी लेखनी में सामाजिक यथार्थ, रिश्तों की जटिलता और आत्मसंघर्ष की तीव्रता अद्भुत गहराई के साथ अभिव्यक्त होती है। उनकी कविताएँ और ग़ज़लें सिर्फ़ शब्दों का जाल नहीं, बल्कि पाठक के हृदय से सीधा संवाद करती हैं—उन भावनाओं को आवाज़ देती हैं जो अक्सर अनकही रह जाती हैं।

उनकी काव्यकृतियाँ—“जो कहा नहीं गया” और “दस्तक”—जीवन की जद्दोजहद, आत्मचिंतन और मानवीय अनुभवों का आईना हैं। इन रचनाओं के माध्यम से वे पाठक को उस दुनिया में ले जाती हैं जहाँ खामोशियाँ भी बोलती हैं और अनसुनी कहानियाँ आत्मा को छू जाती हैं।

लेखन के साथ-साथ अपराजितापरम की कथावाचन कला भी उनकी पहचान है। वे अपनी कविताओं और कहानियों को जिस आत्मीयता से सुनाती हैं, वह श्रोताओं के भीतर सोए हुए भावों को जगाने का सामर्थ्य रखती है। उनकी आवाज़ सिर्फ़ सुनाई नहीं देती, बल्कि अनुभव की तरह महसूस होती है।

साहित्य के क्षेत्र में उनका उद्देश्य केवल किताबें रचना नहीं, बल्कि एक साझा संवाद की रचना करना है—जहाँ हर पाठक अपने भीतर की अनकही बातों को पहचान सके। उनका विश्वास है कि हर रचना एक साझा अहसास है, जो लेखक और पाठक को एक अदृश्य डोर से जोड़ देती है।

Read More...

Achievements