दिल और दिमाग़ की गहराईओं में रखे सैकड़ों जज़्बात अक्सर ज़ुबां के रास्ते मंज़िल ना पाने की वजह से किसी कोने में दबे रह जाते हैं । बस एक पन्नों की दुनिया है जहाँ बिना किसी सवाल जवाब के स्याही जज़्बातों को अपने साथ बेझिझक सही और ग़लत के पार ले जाती है । ‘काग़ज़ के महल’ ऐसे ही सैकड़ों जज़्बातों का निचोड़ है जो हालात और उम्मीद की कश्मकश में सुन्न हो जाते हैं ।
जज़्बातो की चाशनी में डूबी यह किताब इंसानी रिश्तों की जद्दोजहद से जुड़े कई अनकहे पहलुओं को ख़ूबसूरती से बयाँ करती है, जिससे आप ख़ुद को कहीं ना कहीं जुड़ा पाएँगे । दरसल इस किताब में लिखी बातें हर उस इंसान से ताल्लुक़ रखती हैं जो अकेले में कुछ याद करके या तो मुस्कुराता है, रोता है, अनमने मन से याद को मिटाने की नामुमकिन कोशिश करता है या फिर सिर्फ़ एक लम्बी साँस लेकर वापस असलियत की दुनिया में लौटने की कोशिश करता है ।
सभी उम्र के पाठकों के लिए लिखी ये कविताएँ, आजकल के युवा वर्ग को ध्यान में रखते हुए रोमन यानी अंग्रेज़ी में लिखी हुई हिंदी में भी प्रकाशित की गयी हैं जो इस किताब को और ख़ास बना देती हैं।
कुछ जानी पहचानी पंक्तियाँ जो इस किताब का हिस्सा हैं –
लिखे थे वो ख़त जिनको
आए फिर वो याद सभी
काग़ज़ के कुछ पुर्ज़ों से
जुड़े थे यूँ जज़्बात सभी
भीड़ बहुत है चारों ओर
तनहा मन घबराता है
हाल-ए-दिल बस लिखते हैं
अल्फ़ाज़ों में हैं राज़ सभी
Sorry we are currently not available in your region. Alternatively you can purchase from our partners
Sorry we are currently not available in your region. Alternatively you can purchase from our partners