कालजिह्वाप्रशस्ति (गृहपतिसूत्रम्) निग्रहाचार्य एवं गृहपति के मध्य हुए एक संवाद का संग्रह है, जब उन्होंने धर्म के विषय में एक दिव्य स्वप्न देखा था। यह ग्रन्थ दो भागों में विभाजित है - सूत्रखंड एवं श्लोकखंड। इस संस्करण की संपादिका उषाराणी संका हैं।
श्रीमन्महामहिम विद्यामार्तण्ड श्रीभागवतानंद गुरु (श्रीनिग्रहाचार्य) भारत के वरिष्ठ धर्माधिकारी एवं लेखक हैं | बाल्यकाल से ही सनातन धर्म के ग्रन्थों एवं विषयों पर व्याख्यान तथा लेखन करना इनकी विशेषता रही है | इन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत में अनेकों पुस्तकों का लेखन किया है |