इस पुस्तक में हिन्दी के लब्ध प्रतिष्ठित कवि जय शंकर प्रसाद की कालजयी कृति कामायनी के दार्शनिक पक्ष की या यूँ कहें कि जय शंकर प्रसाद की दार्शनिक जीवन पद्धति का अध्ययन करने का प्रयास किया है। प्रसाद हिन्दी साहित्य जगत के ऐसे सूर्य हैं जिनकी आभा से हिन्दी साहित्य जगत सदैव जगमगाता रहेगा। प्रसाद का जीवन दर्शन प्रसाद की समस्त रचनाओं में दृष्टिगोचर होता है। विशेष रूप से कामायनी तो प्रसाद के दार्शनिक पक्ष का जीवंत उदाहरण है। कामायनीकार ने कामायनी में न केवल जल प्रलय की घटना का वर्णन किया है अपितु उन्होने इस अत्यंत लघु वर्णन की सहायता से जिस विस्तृत विषय का विस्तार किया है वह प्रसाद के शैव एवं बौद्ध जीवन दर्शन का ही विस्तार हैं ।
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