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Kan-Kan Hoga Maliyali / कण-कण होगा मलियाली कविता संग्रह

Author Name: Sant Kumar Sharma | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

'कण कण होगा मलियाली' संग्रह की कविताएँ जीवन के संघर्ष की कविताएँ है। इन कविताओं में मानव मन की पीड़ा का साकार रूप दिखाई देता है। मानव मन जब परिस्थितियों से टूटने लगता है तो उन विपरीत परिस्थितियों पर विजय पाने ​​​​​हेतु द्विगुणित वेग से​​ प्रहार करने का प्रयास करता है और इसी प्रयास में उसे उसके जीवन की शक्ति से वास्तविकता से रूबरू होने का अवसर प्राप्त होता है और जब मनुष्य को उसके जीवन की वास्तविकता का ज्ञान होने लगता है तो वह सुख-दुख से ऊपर उठकर पहले से कहीं अधिक उत्साह से जीवन युद्ध लड़ने हेतु उद्धत हो जाता है। 

“उमंगें हो मन की सदा ही जवां, बने  दास्तान-ए-दर्द ही दवा।”

का भाव तभी मन में उठता है और मानुष की जीत का निश्चय होने लगता है। 

“कहो कौन जो इस दुनिया में न पथ-पुष्पिला चाहता है ?

कड़वे फल चखने का आदी हो गया अब ये शरीर”

की परिकल्पना तभी संभव है जब मानव को अपनी विजय का विश्वास हो।  इसी जीवन संघर्ष को उकेरा गया है इस कविता संग्रह में। यदि यह संग्रह आपके के लिए भी जीवन प्रेरणा बन सका तो मैं अपने इस प्रयास को सार्थक समझूँगा।  

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संत कुमार शर्मा

नामः  संत कुमार शर्मा

शिक्षाः  स्नातकोत्तर हिंदी, संस्कृत एवं इतिहास

जन्मः  नई दिल्ली

प्रकाशित रचनाएँ:

गुलदस्ता, ताण्डव आकांक्षा, कण कण होगा मलियाली, सामान्य हिन्दी भाषा, हिंदी व्याकरण एवं रचना, हिन्दी सेम्पल पेपर, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होने वाले लेख एवं कविताएँ।

संप्रति भारत सरकार के स्वायत्त संस्थान नवोदय विद्यालय समिति में स्नातकोत्तर हिन्दी शिक्षक पद पर कार्यरत।

सम्पर्क सूत्रः santkumarsharma@gamail.com

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