20 के दशक के पूर्वार्ध में भी कुछ महाकाव्य लिखे गए किंतु जयशंकर प्रसाद के 'कामायनी' तक आते आते परम्परा ने दम तोड दिया। उपन्यास ने महाकाव्य का लगभग सबकुछ छीन लिया किंतु भाव पक्ष अभी भी बचा था जिसको समेट कर महाप्राण ने एक नई काव्यविधा का अविष्कार किया जिसमें महाकाव्य का संपूर्ण भाव था किंतु विस्तार सीमित था। अब भाव का वैविध्य और संपूर्णता कम हुई किंतु उसकी प्रखरता और गहनता बढ़ गई जिस गहनता को उपन्यास कभी नहीं पा सकता था। इसी भाव प्रवणता में महाप्राण निराला ने कई लंबी कविताएं लिखीं जो आज भी साहित्य के कीर्तिमान हैं।
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