गुड्डन अपने लकवा ग्रसित पति को लेकर नर्मदा पल्ले-पार बरेली से बस मे बैठ गईं, साथ मे दस साल और बारह साल के दो बच्चे भी थे ! बस मे भीड़ ऐसी की अंदर ठई मची थी सब पसीने से लथपथ, यह समझना मुश्किल था की ये शरीर भिगोता पसीना अपना है या किसी दूसरे के शरीर से निकला
पर गुड्डन को इन छोटी मोटी बातो से मतलब नही था उसका लक्ष तो सिर्फ महुआ के झाड़ तक पहुंचना था बहुत उम्मीदें बँधी थी उसकी महुआ से |
मुन्ना घर का बड़ा बेटा था सो घर की जिम्मेदारियाँ भी सिर पर ले चूका था परिस्थियाँ कहाँ सोचने का मौका देती है की वह सिर्फ बारह साल का नन्हा बालक ही तो है, पर वो बड़ा है मतलब बड़ा है बात ख़त्म
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