आधी रात में घने जंगल के बीचों बीच बने पुराने किले के भीतर खम्बों के पीछे चारों छिपे हुए थे, बीच के कम उंचाई के चार खम्बों के ऊपर आग जलने से पीली रोशनी में अब सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था। लताओं से आधी से ज्यादा दीवालें भरी हुई थीं। पिंजरे में बंद उल्लू पक्षी की गोल गोल आंखें आग की पीली रोशनी में और भी भयानक प्रतीत हो रही थीं। ‘‘ऊऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ’’ खण्डहर के बाहर से एक लंबी आवाज सुनाई देती है। ‘‘ये अंदर क्या कम डरावना है प्रभु जो बाहर से भी ऐसी आवाजें भेज रहे हो।’’ रमेश ने खम्बे के पीछे छिपे हुए ही ऊपर की ओर देखते हुए कहा।
‘‘बिल्कुल यही.....हां यही तो मुझसे छूट रहा था......इस 2020 में उस कुर्सी पर......हां उसी के साथ घटना घटित होने वाली है..........इस घटना को रोकना होगा..........यानि उसको छोड़कर ऑफिस के सभी लोग सुरक्षित हैं, यदि वे उस आखिरी कुर्सी के पास नहीं जाते हैं तो........वही है जिसे पिछले 3 की तरह वो आखिरी कुर्सी अपनी ओर आकर्षित करेगी.......हां उसे रोकना होगा....’’
ऐसे ही रहस्यों से भरी इस यात्रा में शामिल होने के लिए आइये इस कहानी ‘‘रहस्यमयी यात्रा 2020’’ में प्रवेश करते हैं -
Sorry we are currently not available in your region. Alternatively you can purchase from our partners
Sorry we are currently not available in your region. Alternatively you can purchase from our partners