शतक चन्द्रिका देवी दुर्गा के बत्तीस (३२) नामावली के ऊपर निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु के द्वारा लिखी गयी संस्कृत टीका है। इस ग्रन्थ की पीठिका में ग्रन्थलेखन का प्रयोजन स्पष्ट है तथा आदि एवं अन्त में भगवान् गोरक्षनाथ की अपरिमार्जित शाबर शैली में निग्रहाचार्यकृत संस्तुति सम्मिलित की गयी है। इसके प्रारम्भिक मंगलाचरण में आठ श्लोक, मुख्य चन्द्रिका में एक सौ एक श्लोक तथा अन्तिम मंगलाचरण में पांच श्लोक हैं। इस संस्करण की सम्पादिका उषाराणी संका हैं।