मोबाइल के दूसरे तरफ से हँसते और मुस्कराते हुए हँसी की आवाज निकाली : हा हूं हूँ , खो खो खासते और हँसते हुए और फिर फोन कट कर दी। फिर सभी थोड़े ही दिन में ईश्वर की दुआ से ठीक हो गए और वापस अपने अपने गृहस्थ जीवन को जीने लगे। आपलोगो के पास प्रश्न होगा.......................................................................................
अतः प्यार एक त्याग भी होती है। मिलन हो न हो पर अगर दिल मे उसकी याद भी है तो अपनी गृहस्थी जीवन को अपनाते हुए अपनी पूरी परिवार के साथ जिया जा सकता है। बशर्ते आप उसके याद को अपने पर हावी न होने दे। वह जीवित है यही संदेश काफी है।इसलिए जिंदगी को जीना सीखे ,उसे झेलना नही।बीते हुए समय अगर वापस आता तो इस सृष्टि का संतुलन ही बिगड़ जाता । इसलिए समय के साथ जीना ही अक्लमंदी है।
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