पुस्तक के बारे में....
ये ग़ज़ल का संग्रह कवि की प्रथम प्रस्तुति है इसलिए इस संग्रह का नाम ग़ज़ल-गो ने 'इब्तिदा' रखा जिसका
अर्थ होता है शुरुआत! प्रायः उर्दू के शब्द अरबी और फ़ारसी से
समाज विसंगतियों का मारा है! इन्हीं विसंगतियों के सही समय पे इलाज न मिलने के कारण समाज एक जगह बैठ गया है और उसने ये मान लिया है कि वो दिव्यांग है! उसकी दिव्यांगता भी शारीरिक नहीं अथ
मैं इक दिन रास्ते से कहीं चला जा रहा था कि देखा इक आदमी पड़ा हुआ है वहाँ जो किसी वाहन से टकरा गया था! इक सभ्य नागरिक होन Read More...