धुरन्धर संहिता निग्रह सम्प्रदाय का एक प्रमुख ग्रन्थ है जिसके रचयिता एवं उपदेष्टा निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु हैं | इसमें एक हज़ार से अधिक श्लोक एवं बीस पटल (अध्याय) हैं | यह ग्रन्थ ब्रह्म, जीव, माया, सदाचार, वर्णमातृका एवं अन्य विषयों के रहस्यों को परिभाषित करता है | इसमें सगुण ब्रह्म, निर्गुण ब्रह्म तथा शब्द ब्रह्म का विशेष उल्लेख किया गया है तथा इस संस्करण के सम्पादक ब्रजेश पाठक ज्यौतिषाचार्य हैं |