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Geeta Jnaan / गीता ज्ञान गीता से हमारी अपेक्षाएँ और माँग

Author Name: Chandan Sukumar Sengupta | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

गीता के प्रत्येक श्लोक की अलग से व्याख्या कर पॅयन उतना ही आधा अधूरा श्रम का हिस्सा माना जाएगा जिसके आधार पर हम बहती गंगा से एक घड़ा पानी भरकर लाते हैं और गंगा की पवित्रता, मलीनता, स्वच्छंदता, सम्प्रिक्तता आदि का दर्शन करने लग जाते हैं | जबकि पानी स्वतः ही शुद्ध ज्ञान का रूपक होते हुए निर्मलता को बनाए रखते हुए सबके मैल को धोकर निकाल बाहर करने का काम करता है; उसी से ईष्ट का अभिषेक और श्री गणेश भी हो जाता है; उसी में तिलांजलि भी पड़ेगी और पुष्पांजलि भी |  

अतः गीता के प्रत्येक श्लोक की व्याख्या और विस्तार की परिधि व्यापकत्व की दृष्टि से समग्र वेद, पुराण, श्रुति, निगन आगमों को अपने में समा लेने के लिए सक्षम है | 

इस प्रकाशन शृंखला का यही अभिप्राय है कि जिन योग, सांख्य और वेदांत के संकलन से गीता की धारा बहती चली और व्यक्ति मात्र का प्रबोधन करने के लिए सक्षम बनी उसी तत्व और योग विद्या के सम्मेलन को विविध पक्ष को ध्यान में रखते हुए समझा जा सके; अनुभव किया जा सके और आत्मसात किया जा सके|

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चंदन सुकुमार सेनगुप्ता

तुलनात्मक धर्म दर्शन और विज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत |

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