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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palपांच कवयित्रियों- डॉ. विजया सिन्हा, डॉ. उर्मिला त्रिपाठी, सुश्री पूर्वी कुमार, सुश्री अंजली श्रीवास्तव और डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव 'प्रयागी' ने मिलकर ज़िंदगी की हर पहेली को सहेली बनाने की कथाओं और व्यथाओं को कविताओं में ऐसे पिरोया है, गोया आंधियों में सैकड़ों चराग़ एक साथ जल रहें हों। खुद, खुदी और खुदाई की तलाश में निकला ये ऐसा ताना-बाना है, जिसके पन्ने पलटने मात्र से पैसे वसूल हो जाते हैं। इस कविता-संगम में पाठक पहली छलांग में ही डूब जाएँगे और फिर कभी उबरना नहीं चाहेंगे। मच्छर के दाँतों के बीच से हाथी निकालने का इन कविताओं का जादू भाग-दौड़ में व्यस्त हमारे मन को इतनी फुरसत देता है कि वो भुजा हो जाए और हम उसे फैलाकर खुद को अपने आलिंगन में भर लें!
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.संपादिका: डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव 'प्रयागी'
डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गुना के अंग्रेजी विभाग में सहायक प्राध्यापक के पद को सुशोभित कर रहीं हैं । डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव का जन्म इलाहाबाद, आज का प्रयागराज में हुआ एवं वहीं इनकी सम्पूर्ण शिक्षा हुई। अंग्रेजी साहित्य से स्नातकोत्तर करने के बाद इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से ही इन्होंने अपनी डॉक्ट्रेट इन फिलॉसफी अंग्रेजी साहित्य में पूरी की। तत्पश्चात सवा तीन साल तक डॉ रिज़वी कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग के एप्लाइड साइंस विभाग में सहायक प्राध्यापक के पद को सुशोभित किया । लिखने का शौक इन्हें बचपन से ही था; किन्तु लेखनी में प्रवाह इन की २०१९ में आठ दिवस की ऋषिकेश यात्रा के बाद आया।ऋषिकेश यात्रा ने इनके अंदर की लेखनी में गंगा- सा निर्मल -प्रवाह भर दिया, जिस तरह जल की प्रकृति बहने की होती है वैसे ही इनके विचारों में भी धाराप्रवाह आ गया। इनकी कहानी संग्रह 'कहे-अनकहे' पिछले वर्ष अगस्त में प्रकाशित हुई जो बहुत लोकप्रिय हुई। राष्ट्रीय समाचार पत्र तथा मैगज़ीन में भी कहानिया और कवितायें छपती रहती हैं ।इन्हें लिखने के साथ ही समाज-सेवा करना भी बहुत पसंद है ।
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