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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palयह किताब ब्रह्मांड को एक नए नज़रिए से देखने की कोशिश करती है। सुपर एटम फ्रैक्टल रिलेटिविटी थ्योरी के अनुसार, ब्रह्मांड एक फ्रैक्टल स्ट्रक्चर है, जिसमें हर स्केल पर एक नया ब्रह्मांड है। हमारी गणनाओं के अनुसार, ब्रह्मांड की आयु 4.54 x 10^109 वर्ष हो सकती है, जो आधुनिक विज्ञान की गणना (13.8 बिलियन वर्ष) से बहुत अलग है।
इस थ्योरी में, हमने समय, गति, और साइज़ को सापेक्ष माना है। हर स्केल पर समय और गति बदलती है—छोटे स्केल पर समय तेज होता है, और बड़े स्केल पर धीमा। उदाहरण के लिए, एक परमाणु के स्केल पर समय बहुत तेजी से चलता है, जबकि ग्रहों के स्केल पर यह धीमा हो जाता है।
परमतत्व के सिद्धांत अनुसार कोई भी तत्व स्थिर नहीं है और सबका आकार भिन्न है इस पृथ्वी पर भी आण्विक स्तर पर किसी भी मनुष्य का भार,ऊंचाई, आकार, समय, गुरुत्वाकर्षण,घनत्व, बल,ऊर्जा समान रूप से नहीं है, सूक्ष्म आण्विक स्तर पर सब में भिन्नता होगी ।यह पुस्तक विज्ञान के नए रहस्यों को उजागर करती है व इस पुस्तक श्रृंखला द्वारा भविष्य के नए विज्ञान की नींव रखी जाएगी!
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.कैलाश सिंह राजपुरोहित
हे जगदम्बे
भारत सनातन हिन्दू धर्मावलंबियों का प्राचीनतम देश है,जिसे पूर्वकाल में आर्यावर्त के नाम से जाना जाता था । इसी भारतीय उपमहाद्वीप की सनातन संस्कृति ने सदा इस देश को महान राष्ट्र बनाएं रखा ।
इसी सनातन हिन्दू धर्म में उस एक ईश्वर को जिससे सब कुछ अस्तित्व में आया उसे ब्रह्म कहा है और युगों युगों में करोड़ों में कोई एक उस ब्रह्म से साक्षात्कार कर पाता है उसे बुद्धत्व प्राप्ति कहते है, इसकी अलग अलग अवस्था में किसी को बुद्ध पुरुष , ब्रह्मर्षि, ब्रह्मयोगी, परमहंस,जगद्गुरु,एवं परम उच्च अवस्था योग योगेश्वर इत्यादि पद अवस्थानुसार संबंधित पारलौकिक शक्तियों द्वारा प्रगट होकर प्रदान किया जाता है।
पूर्वजन्म के कर्मानुसार मुझे भी विषम परिस्थिति में कठोर योग तपस्या द्वारा बुद्धत्व की प्राप्ति हुई जो मुझे परब्रह्म स्वरूपिणी आदि भवानी और भगवान शिवशंकर ने प्रगट होकर प्रदान की । योग की यह एक परम उच्च अवस्था है और यही मेरे जानने का स्रोत है । भगवान शिव शंकर ही मेरे गुरु और मार्गदर्शक है जिन्होंने मुझे गुप्त योग विधि द्वारा ब्रह्मविद्या प्रदान की। ब्रह्मविद्या के साथ तंत्र मंत्र और यंत्र विज्ञान भी प्रदान किया ।लौकिक संसार में ,में गृहस्थ धर्म में स्थित हु ,कुल, वंश, वर्ण अनुसार मेरा नाम कैलाश सिंह राजपुरोहित है, वर्तमान में पश्चिम राजस्थान के फलोदी में निवासरत हु ।इस ब्रह्मविद्या द्वारा ही में सम्पूर्ण संसार का सत्य जान पाया हु, किसी कारणवश न चाहते हुवे भी में इस संसार में मुझे प्राप्त ज्ञान का कुछ अंश पुस्तकों के रूप में दे रहा हूं, पुस्तक में लिखा समस्त रहस्य , जानकारी , विज्ञान यह ब्रह्मांड जैसे कार्य करता है वहीं सत्य बताया है। इस अद्भुत ज्ञान को भी ग्रहण कर पाएगा जो इस ज्ञान में श्रद्धा विश्वास रखेगा।
हर हर महादेव
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